विविध >> रवि कहानी रवि कहानीअमिताभ चौधरी
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नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक
इधर भारत सरकार की एक विज्ञप्ति के अनुसार 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल के बंटवारे की घोषणा कर दीगई। रवीन्द्रनाथ ने उसके विरोध में एक गीत लिखा-
बंगाल की माटी, बंगाल का जल
बंगाल की वायु, बंगाल का फल
पूर्ण हो, पूर्ण हो,
पूर्ण हो, हे भगवान!
रवीन्द्रनाथ ने ''बंगदर्शन'' में लिखा- ''आगामी 30 आश्विन (बांग्ला संवत् 1312) कोबांग्लादेश का कानूनन बंटवारा हो जाएगा। लेकिन भगवान ने बंगालियों को बांटा नहीं है, इसी को खासतौर पर याद करने और इसे जताने के लिए उस दिनहमलोग रक्षाबंधन मनाएंगे, जिसमें सभी लोग एक दूसरे की कलाई में पीले रंग का धागा बांधेंगे। रक्षाबंधन का नारा होगा- 'भाई-भाई एक ठांई' (ठांई-जगह,घर)।
कलकत्ता के जलसे में रवीन्द्रनाथ शामिल थे। वे जुलूस मेंसबसे आगे थे और सभी की कलाइयों में राखी बांध रहे थे। इसी समय फेडरेशन हॉलकी नींव भी रखी गई। रवीन्द्रनाथ का लिखा यह गीत गाते हुए जुलूस निकला-
विधाता के बंधन को तोड़ोगे तुम
ऐसे हो शक्तिमान,
हमारे भाग्य विधाता बनने का
तुममें ऐसा है अभिमान!
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