नेहरू बाल पुस्तकालय >> क्रिकेट क्रिकेटएलन लॉय मैक्गिनिस
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एक भारतीय खेल क्रिकेट पर आधारित पुस्तक....
Cricket-A Hindi Book by Vijay Marchant
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
क्रिकेट का खेल
भारत में क्रिकेट के खेल का आरम्भ 1721 में हुआ था। यह ‘कामनवेल्थ का खेल है। जहाँ-जहाँ भी अंग्रेजों का शासन था, वहां-वहाँ उन्होंने इस खेल का प्रचलन किया। 1848 में भारत में सबसे पहले पारसियों ने इस खेल में हिस्सा लेना शुरू किया था औऱ 1892 तक उन्होंने इस खेल में इतनी प्रगति कर ली कि ‘प्रेसीडेंसी’ मैच शुऱू कर दिये गये । पूना और बम्बई में हर यूरोपीय और पारसी टीमों के बीच इन मैचों का आयोजन किया जाता था। इस प्रकार खेल में लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी।
धीरे-धीरे कुछ और जाति के लोग भी इस खेल में दिलचस्पी लेने लगे। 1907 में एक तीसरी टीम हिन्दू’ मैदान में उतरी। इस प्रकार यह टूर्नामेंट ट्रायंगुलर (त्रिकोणीय) हो गया। पहले दो टीमों के बीच मैच होता। उसके बाद विजेता टीम और उस टीम के बीच मैच होता जिसे ‘बाई’ मिलती। तब से ट्रायंगुलर मैच होने लगे तब से इनका आयोजन पूना के बजाए बम्बई में किया जाने लगा। बम्बई को आज भी क्रिकेट का गढ माना जाता है। 1922 और 1926 में क्वाड्रैगुलर प्रतियोगिता का आयोजन ज़रूर पूना में किया गया था। 1912 में चौथी टीम ‘मुसलिम’ ने भी इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया था। तभी से इन मैचों को ‘क्वाड्रैगुलर (चतुष्कोणीय) प्रतियोगिता कहा जाने लगा। उसके बाद, 1937 में भारतीय इसाइयों की टीम ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू कर दिया और अब इसे ‘पेंण्टेंगुलर’ (पंचकोणीय) प्रतियोगिता कहा जाने लगा। संयोग से इसी वर्ष बम्बई में ब्रेबोर्न स्टेडियम का उद्घाटन किया गया जहाँ कि तब देश के अधिकांश टेस्ट मैचों का आयोजन किया जाता था।
धीरे-धीरे कुछ और जाति के लोग भी इस खेल में दिलचस्पी लेने लगे। 1907 में एक तीसरी टीम हिन्दू’ मैदान में उतरी। इस प्रकार यह टूर्नामेंट ट्रायंगुलर (त्रिकोणीय) हो गया। पहले दो टीमों के बीच मैच होता। उसके बाद विजेता टीम और उस टीम के बीच मैच होता जिसे ‘बाई’ मिलती। तब से ट्रायंगुलर मैच होने लगे तब से इनका आयोजन पूना के बजाए बम्बई में किया जाने लगा। बम्बई को आज भी क्रिकेट का गढ माना जाता है। 1922 और 1926 में क्वाड्रैगुलर प्रतियोगिता का आयोजन ज़रूर पूना में किया गया था। 1912 में चौथी टीम ‘मुसलिम’ ने भी इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया था। तभी से इन मैचों को ‘क्वाड्रैगुलर (चतुष्कोणीय) प्रतियोगिता कहा जाने लगा। उसके बाद, 1937 में भारतीय इसाइयों की टीम ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लेना शुरू कर दिया और अब इसे ‘पेंण्टेंगुलर’ (पंचकोणीय) प्रतियोगिता कहा जाने लगा। संयोग से इसी वर्ष बम्बई में ब्रेबोर्न स्टेडियम का उद्घाटन किया गया जहाँ कि तब देश के अधिकांश टेस्ट मैचों का आयोजन किया जाता था।
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