महान व्यक्तित्व >> राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीसोनल गुप्ता
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महात्मा गाँधी का चित्रण...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
महात्मा गाँधी
भारत के राष्ट्रपिता के सम्मान से सम्मानित महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व,
उनके विचार तथा देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए किए गए उनके संघर्ष
उन्हें विश्व के महानतम् व्यक्तियों की ऐसी श्रेणी में खड़ा करते हैं,
जहाँ उनकी बराबरी करने वाले कोई नहीं हैं। सादा जीवन तथा महात्मा गाँधी के
अद्भुत् व्यक्तित्व के सामने केवल देशवासी ही नहीं वरन् विदेशी लोग भी
नतमस्तक हुए हैं।
आज भी सारा देश जिन्हें प्रेम व श्रद्धा से बापू कहकर सम्बोधित करता है, ऐसी महान् आत्मा महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता कर्मचन्द गाँधी राजकोट के दिवान थे तथा माता पुतली देवी अत्यन्त धार्मिक विचारों वाली धार्मिक महिला थी। बाल्यकाल में महात्मा गाँधी का नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी रखा गया तथा माता-पिता प्यार से उन्हें मोहन कहकर बुलाते थे। गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर के ही स्कूल में हुई।
क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक थी, अत: वर्ष 1887 में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1888 में वे कानून की ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए। वर्ष 1891 में भारत वापिस लौटने पर उन्होंने अपनी वकालत आरम्भ कर दी। इंग्लैण्ड जाने से पूर्व उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी से हो गया था। सीधी-सादी कस्तूरबा गाँधी को गाँधी जी ने घर में ही रहकर शिक्षित किया तथा कानून से संबंधित जानकारियाँ भी दी।
आज भी सारा देश जिन्हें प्रेम व श्रद्धा से बापू कहकर सम्बोधित करता है, ऐसी महान् आत्मा महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता कर्मचन्द गाँधी राजकोट के दिवान थे तथा माता पुतली देवी अत्यन्त धार्मिक विचारों वाली धार्मिक महिला थी। बाल्यकाल में महात्मा गाँधी का नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी रखा गया तथा माता-पिता प्यार से उन्हें मोहन कहकर बुलाते थे। गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर के ही स्कूल में हुई।
क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक थी, अत: वर्ष 1887 में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1888 में वे कानून की ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए। वर्ष 1891 में भारत वापिस लौटने पर उन्होंने अपनी वकालत आरम्भ कर दी। इंग्लैण्ड जाने से पूर्व उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी से हो गया था। सीधी-सादी कस्तूरबा गाँधी को गाँधी जी ने घर में ही रहकर शिक्षित किया तथा कानून से संबंधित जानकारियाँ भी दी।
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