बाल एवं युवा साहित्य >> आँगन का गुलाब आँगन का गुलाबशिवमूर्ति सिंह
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प्रस्तुत है बच्चों के लिए एक रोचक उपन्यास।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आँगन का गुलाब
दूर से टमटम की आवाज सुनकर चौकीदार ने लौहद्वार खोल दिया। दो सफेद घोड़े
सधी चाल में आगे बढ़े आ रहे थे। लौहद्वार खोलकर चौकीदार एक ओर खड़ा हो
गया।
टमटम जैसे ही फाटक पर पहुँची, चौकीदार ने राजीव को सलाम किया। राजीव ने मुस्कराकर सिर हिला दिया । टमटम बँगले के सामने आकर रुक गई।
राजीव कूदकर टमटम से नीचे उतरा। उसके माथे पर पसीने की बूंदें थीं, और बाल-अस्त-व्यस्त हो रहे थे। राजीव की माँ बरामदे में खड़ी थीं। टमटम से उतरकर राजीव दौड़ता हुआ माँ की बाँहों में झूलने लगा। उसका चेहरा लाल-आरक्त गुलाब की तरह खिला हुआ था। माँ ने अपने आँचल से उसके माथे का पसीना पोंछा और गुलाबी चेहरे को दो-चार बार चूम लिया।
राजीव ने कहा, ‘‘माँ आज स्कूल में मुझे सबसे बडा पुरस्कार मिला !’’
राजीव की माँ बोली, ‘‘शाबाश बेटा,। ! मेरा बेटा पढ़-लिखकर बहुत बड़ा साहब बनेगा।’’
चौकीदार ने टमटम से उतारकर बड़ा गुलदस्ता पदक और एक फोटो राजीव की माँ को थमा दिया।
माँ बोलीं—‘‘इतना सुन्दर गुलदस्ता ! इतना बड़ा चांदी का पदक और फोटो ! मेरे राजीव को मिले !’’ माँ ने फोटो को सीने से लगा लिया।
‘‘मै स्कूल के जलसे में बोल रहा था तब यह फोटो लिया गया था। माँ, तुम्हें कैसी लगती है मेरी यह तस्वीर ?’’ राजीव माँ की आँखों में झाँकने लगा।
‘‘बहुत अच्छी ! बिलकुल मेरे राजीव जैसी।’’ माँ ने राजीव को गोद में चिपका लिया।
टमटम जैसे ही फाटक पर पहुँची, चौकीदार ने राजीव को सलाम किया। राजीव ने मुस्कराकर सिर हिला दिया । टमटम बँगले के सामने आकर रुक गई।
राजीव कूदकर टमटम से नीचे उतरा। उसके माथे पर पसीने की बूंदें थीं, और बाल-अस्त-व्यस्त हो रहे थे। राजीव की माँ बरामदे में खड़ी थीं। टमटम से उतरकर राजीव दौड़ता हुआ माँ की बाँहों में झूलने लगा। उसका चेहरा लाल-आरक्त गुलाब की तरह खिला हुआ था। माँ ने अपने आँचल से उसके माथे का पसीना पोंछा और गुलाबी चेहरे को दो-चार बार चूम लिया।
राजीव ने कहा, ‘‘माँ आज स्कूल में मुझे सबसे बडा पुरस्कार मिला !’’
राजीव की माँ बोली, ‘‘शाबाश बेटा,। ! मेरा बेटा पढ़-लिखकर बहुत बड़ा साहब बनेगा।’’
चौकीदार ने टमटम से उतारकर बड़ा गुलदस्ता पदक और एक फोटो राजीव की माँ को थमा दिया।
माँ बोलीं—‘‘इतना सुन्दर गुलदस्ता ! इतना बड़ा चांदी का पदक और फोटो ! मेरे राजीव को मिले !’’ माँ ने फोटो को सीने से लगा लिया।
‘‘मै स्कूल के जलसे में बोल रहा था तब यह फोटो लिया गया था। माँ, तुम्हें कैसी लगती है मेरी यह तस्वीर ?’’ राजीव माँ की आँखों में झाँकने लगा।
‘‘बहुत अच्छी ! बिलकुल मेरे राजीव जैसी।’’ माँ ने राजीव को गोद में चिपका लिया।
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