स्वास्थ्य-चिकित्सा >> हम और हमारा आहार हम और हमारा आहारके.टी.अच्चया
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संतुलित आहार का अर्थ
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
संतुलित आहार का अर्थ क्या है ? हमारा पाचन तंत्र भोजन के बारे में कुछ
उचित-अनुचित अवधारणाएं बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के
लिए भोजन विशिष्ट आहार विकृत, स्वच्छता एवं संक्रमण भोजन के विषय में ये
कुछ आकर्षक पहलू हैं जिन पर डॉ. अच्चया (जन्म 1923) की इस पुस्तक में
चर्चा की गयी है। उन्होंने भोजन के क्षेत्र में विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत
अध्ययन किया है।
प्राक्कथन
इस पुस्तिका में नया कुछ भी नहीं है। किया केवल यह गया है कि अधिकतर
भारतीय पोषणविदों को ज्ञात सामग्री एक रोचक ढंग से इस प्रकार संयोजी गयी
है कि एक सामान्य पाठक के लिए रुचिकर और लाभदायक सिद्ध हो।
इसकी रचना मुख्यतः तीन पुस्तकों के आधार पर की गयी है। उनमें से एक है-सी.गोपालन, बी.बी. रामाशास्त्री और एस.बी. बालासुब्रह्मण्यम नेशनल इंस्टीच्यूट ऑव न्यूटीशन, इंडियन कौंसिल ऑव मेडिकल रिसर्च, हैदराबाद-500007, 1971 की पुस्तक ‘‘न्यूटीटिव वैल्यू ऑफ इंडियन फूड्स’’; दूसरी मैक्सिन ई. मैकदीवि तथा सुमति आर, मुदांबी (प्रिटिसहॉल ऑव इंडिया प्रा. लि. नयी दिल्ली 1973) की ‘‘ह्यूमन न्यूटीशन प्रिंसिपल्स एंड एप्लीकेशंस इन इंडिया’’ और तीसरी-आर. (राजलक्ष्मी बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट, एम. एस. यूनीवर्सिटी ऑव बड़ौदा,-1969) द्वारा रचित ‘‘एप्लाइड न्यूट्रीशन इसमें नेशनल इंस्टीच्यूट ऑव न्यूट्रीशन हैदराबाद द्वारा प्रकाशित एक त्रैमासिक पत्रिका ‘‘न्यूट्रीशन’’ के कुछ अंकों से भी सहायता ली गयी है। जिसका वार्षिक चंदा दो रुपये है; और जो देश भर में धन का सर्वाधिक पौष्टिक मूल्य है।
इसकी रचना मुख्यतः तीन पुस्तकों के आधार पर की गयी है। उनमें से एक है-सी.गोपालन, बी.बी. रामाशास्त्री और एस.बी. बालासुब्रह्मण्यम नेशनल इंस्टीच्यूट ऑव न्यूटीशन, इंडियन कौंसिल ऑव मेडिकल रिसर्च, हैदराबाद-500007, 1971 की पुस्तक ‘‘न्यूटीटिव वैल्यू ऑफ इंडियन फूड्स’’; दूसरी मैक्सिन ई. मैकदीवि तथा सुमति आर, मुदांबी (प्रिटिसहॉल ऑव इंडिया प्रा. लि. नयी दिल्ली 1973) की ‘‘ह्यूमन न्यूटीशन प्रिंसिपल्स एंड एप्लीकेशंस इन इंडिया’’ और तीसरी-आर. (राजलक्ष्मी बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट, एम. एस. यूनीवर्सिटी ऑव बड़ौदा,-1969) द्वारा रचित ‘‘एप्लाइड न्यूट्रीशन इसमें नेशनल इंस्टीच्यूट ऑव न्यूट्रीशन हैदराबाद द्वारा प्रकाशित एक त्रैमासिक पत्रिका ‘‘न्यूट्रीशन’’ के कुछ अंकों से भी सहायता ली गयी है। जिसका वार्षिक चंदा दो रुपये है; और जो देश भर में धन का सर्वाधिक पौष्टिक मूल्य है।
कोंगंद्र तम्मु अच्चया
अध्याय 1
खाद्य पदार्थ और उनके तत्व
हम दिन में कई बार खाते हैं, इसलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि हमारे
भोजन के पश्चात् उनका क्या बनता है। हमें यह भी ज्ञात होना चाहिए कि भोजन
के इन तत्वों की हमें आवश्यकता क्यों होती है और यदि हमें ये पर्याप्त
मात्रा में न मिलें तो क्या होगा। इससे हम उत्तम खाद्य सामग्री का चयन कर
सकेंगे।
स्मरण रहे कि हमारा भारतीय आहार कतई बुरा नहीं है। पोषण की दृष्टि से इसका आधार अत्यंत सशक्त है गेहूं, चावल विविध दालों और रसेदार सब्जी के सम्मिश्रणों का थोड़े दूध और दही, हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों के साथ सेवन, एक संतोषजनक संतुलित आहार है।
स्मरण रहे कि हमारा भारतीय आहार कतई बुरा नहीं है। पोषण की दृष्टि से इसका आधार अत्यंत सशक्त है गेहूं, चावल विविध दालों और रसेदार सब्जी के सम्मिश्रणों का थोड़े दूध और दही, हरी पत्तेदार सब्जियों और फलों के साथ सेवन, एक संतोषजनक संतुलित आहार है।
भोजन में पोषक तत्व
हमारे भोजन में कुछ स्वास्थ्यप्रद पदार्थ होते हैं। पोषक तत्व कहा जाता
है। मुख्यतः इनकी पाँच किस्में होती हैं : कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन,
चर्बी, विटामिन और खनिज पदार्थ। कुछ खाद्य पदार्थ कार्बोहाइड्रेड में
समृद्ध होते हैं जैसे चावल, कुछ अन्य प्रोटीन में जैसे दाल तथा अन्य चर्बी
में जैसे सब्जियां पकाने वाले तेल। कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे कि दूध में
एकाधिक पोषक तत्व होते हैं। वास्तव में ये पोषक तत्व हैं क्या ?
कार्बोहाइड्रेड प्रोटीन तथा चर्बी की आवश्यकता बड़ी मात्रा में होती है।
शरीर की विभिन्न क्रियाओं के लिए ये सभी ऊर्जा देते हैं। विटामिन तथा खनिज
पदार्थों की आवश्यकता बहुत कम मात्रा में होती है। ये शरीर को ऊर्जा नहीं
देते परंतु शरीर में होने वाली सभी सहस्त्रों क्रियाओं के सहज और अच्छे
ढंग से संपन्न होने में सहायता देते हैं।
ऊर्जा
भोजन से जो मुख्य चीज हम प्राप्त करते हैं, वह ऊर्जा है। जिस प्रकार मोटर
कार पेट्रोल का प्रयोग करती है, उसी प्रकार हमारा शरीर ऊर्जा के रूप में
भोजन का प्रयोग करता है। इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है कि शरीर ऊर्जा
के लिए भोजन को जलाता है। सुप्तावस्था में भी शरीर के कुछ अवयव सक्रिय
रहते हैं; दिल धड़कता है, फेफड़े सांस लेते हैं और पाचन प्रक्रिया कार्यरत
रहती है। अतः बुनियादी तौर पर कुछ ऊर्जा की आवश्यकता सदा बनी रहती है।
इसके अतिरिक्त हमें अपना काम करने के लिए भी उर्जा की जरूरत होती है।
जितना अधिक शारीरिक परिश्रम होगा उतनी ही अधिक ऊर्जा की और उसी अनुपात से
अधिक भोजन की आवश्यकता होगी।
इस ऊर्जा को मापा कैसे जाता है ? जिस प्रकार कपड़े को मीटरों में और समय को घंटों और मिनटों में मापा जाता है, उसी प्रकार शारीरिक ऊर्जा को कैलोरियों में मापा जाता है। साधारणतया इन्हें केवल कैलोरी ही कहा जाता है। एक वयस्क यदि चुपचाप बिस्तर में पड़ा रहे तो उसे लगभग 1500 कैलोरी बुनियादी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त 1100-1300 कैलौरी ऊर्जा की आवश्यकता सामान्य शारीरिक क्रियाओं के लिए होती है, अतः एक सामान्य व्यक्ति को 2600-2800 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। छोटा आकार होने के कारण महिलाओं की कैलोरी आवश्यकता अपेक्षाकृत कम होती है, परंतु गर्भधारण और बच्चे को स्तनों से दूध पिलाने की अवधि में यह बढ़ जाती है। बच्चों की आवश्यकता उनके आकार तथा आयु पर निर्भर करती है।
हमने देखा कि शरीर को ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन तथा चर्बी से प्राप्त होती है। आइये अब देखें कि ये हैं क्या।
इस ऊर्जा को मापा कैसे जाता है ? जिस प्रकार कपड़े को मीटरों में और समय को घंटों और मिनटों में मापा जाता है, उसी प्रकार शारीरिक ऊर्जा को कैलोरियों में मापा जाता है। साधारणतया इन्हें केवल कैलोरी ही कहा जाता है। एक वयस्क यदि चुपचाप बिस्तर में पड़ा रहे तो उसे लगभग 1500 कैलोरी बुनियादी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त 1100-1300 कैलौरी ऊर्जा की आवश्यकता सामान्य शारीरिक क्रियाओं के लिए होती है, अतः एक सामान्य व्यक्ति को 2600-2800 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। छोटा आकार होने के कारण महिलाओं की कैलोरी आवश्यकता अपेक्षाकृत कम होती है, परंतु गर्भधारण और बच्चे को स्तनों से दूध पिलाने की अवधि में यह बढ़ जाती है। बच्चों की आवश्यकता उनके आकार तथा आयु पर निर्भर करती है।
हमने देखा कि शरीर को ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन तथा चर्बी से प्राप्त होती है। आइये अब देखें कि ये हैं क्या।
कार्बोहाइड्रेड
संसार भर में लोगों के भोजन में ये मुख्य ऊर्जा स्रोत हैं। चावल, गेहूं,
बाजारा, ज्वार और मुड़वा जैसे खाद्यान्नों में कार्बोहाइड्रेट पाच्य मांड
स्टार्ट के रूप में काफी मात्रा में पाये जाते हैं इसी प्रकार ये मांडमय
खाद्य पदार्थ जैसे आलुओं और केलों में भी होते हैं। इन सभी खाद्यान्नों
में अन्य पदार्थ भी होते हैं, जैसे की अपाच्य मांड और पानी आदि। शक्कर व
गुड़ शुद्ध गाढ़े कार्बोहाइड्रेट होते हैं जो शरीर को ऊर्जा ही ऊर्जा देते
हैं जिसे शीघ्र पचाया जा सकता है। अनाज और शक्कर सस्ते होते हैं और ये
ऊर्जा और संतोष देने के साथ-साथ उदरपूर्ति भी करते हैं। जाहिर है कि ये
हमारे भोजन के आवश्यक अंग हैं। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट शरीर को 4 कैलोरी
ऊर्जा देती है।
क्या सब्जियों में मांड होता है ? कुछ में होता है, परंतु आमतौर पर इनमें एक सख्त किस्म का कार्बोहाइड्रेट होता है जिसे रेशा कहते हैं। इसे मनुष्य हजम नहीं कर पाते किंतु पशु कर लेते हैं। थोड़ी मात्रा में ये रेशे रुक्षांश प्रदान करते हैं जो भोजन को नीचे पाचक तंत्र तक पहुंचने में सहायता देते हैं। इस प्रकार खनिज पदार्थों और विटामिन के अलावा जैसा कि हम आगे पायेंगे, सब्जियां हमारे भोजन में रुक्षांश तथा विविध प्रकार के स्वाद और आकार प्रस्तुत करती है।
क्या सब्जियों में मांड होता है ? कुछ में होता है, परंतु आमतौर पर इनमें एक सख्त किस्म का कार्बोहाइड्रेट होता है जिसे रेशा कहते हैं। इसे मनुष्य हजम नहीं कर पाते किंतु पशु कर लेते हैं। थोड़ी मात्रा में ये रेशे रुक्षांश प्रदान करते हैं जो भोजन को नीचे पाचक तंत्र तक पहुंचने में सहायता देते हैं। इस प्रकार खनिज पदार्थों और विटामिन के अलावा जैसा कि हम आगे पायेंगे, सब्जियां हमारे भोजन में रुक्षांश तथा विविध प्रकार के स्वाद और आकार प्रस्तुत करती है।
प्रोटीन
तीन मुख्य पोषक तत्वों में अगला तत्व प्रोटीन है। ये प्रोटीन हमारे लिए
बहुत महत्वपूर्ण है। हमारे शरीर के प्रत्येक हिस्से की हर इकाई पेशी,
हड्डी, रक्त, मस्तिष्क, चमड़ी और बाल-में प्रोटीन होते हैं। जिस प्रकार
ईंटों से मकान बनता है उसी प्रकार प्रोटीन से शरीर। जब हमारे शरीर का कोई
भाग गल, सड़ या नष्ट हो जाता है तो ये प्रोटीन ही मरम्मत और क्षतिपूर्ति
करते हैं। इसके अतिरिक्त शरीर में होने वाली अनेक क्रियाओं में कुछ ऐसी
हैं जिनमें प्रोटीन एक विशेष भूमिका निभाते हैं जो प्रोटीन के न होने से
नहीं हो पातीं। इनके बिना जीवन गतिहीन हो जायेगा।
कार्बोहाइड्रेट की तरह प्रोटीन भी शरीर को ऊर्जा दे सकते हैं। वास्तव में एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न होती है, परंतु इस प्रकार प्रोटीन को कैलोरी के रूप में जलाना फिजूल खर्ची होगी। अच्छा तो यह है कि हम इस ऊर्जा के लिए काफी कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करें और अतिरिक्त प्रोटीनों को उन आवश्यक कार्यों के लिए सुरक्षित रखें जिसे केवल वे ही पूरा कर सकते हैं।
जो प्रोटीन हम खाते हैं उनकी श्रेष्ठता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि उनकी मात्रा। पशुओं से प्राप्त होने वाले प्रोटीन जैसे कि मांस, मछली, अंडा और दूध काफी श्रेष्ठ होते हैं। जबकि पोषक तत्वों के आधार पर अंडे से प्राप्त प्रोटीन को 90 अंक दिये जायें तो मांस और दूध से प्राप्त प्रोटीन लगभग 70 अंक पायेंगे। परंतु सब्जी के प्रोटीन कम अंक प्राप्त करेंगे; दाल और चने को 50 से 55, गेहूं को 45, गेहूँ का सेवन दाल के साथ किया जाये तो प्रोटीन के कुल योग में वृद्धि हो जाती है। और यदि गेहूं और दाल का सेवन दूध अथवा दही के साथ किया जाये तो इस प्रकार प्राप्त होने वाले प्रोटीन की कोटि अधिक उच्च हो जायेगी जो कि उन तीनों से प्राप्त प्रोटीन से श्रेष्ठ होगी।
इस प्रकार मांस, मछली, अंडा और दूध सभी पशु प्रोटीन के स्रोत हैं। भारत में दाल और चने की कई किस्में जैसे कि : अरहर, मसूर, चने अथवा बंगाली चने, उड़द और मूंग आदि प्रोटीन का एक बड़ा महत्वपूर्ण स्रोत हैं, मूंगफली, बादाम, अखरोट, नारियल के टुकड़े तथा तिलहन आदि एक दूसरा प्रोटीन स्रोत हैं। साधारणतया चावल, गेहूं तथा अन्य खाद्यान्न प्रोटीन समृद्ध श्रेणी में नहीं आते क्योंकि इनमें केवल 6 से 9 प्रतिशत ही प्रोटीन की मात्रा होती है। परंतु क्योंकि हम लोग हर रोज काफी मात्रा में चावल और गेहूँ खाते हैं। इसलिए इनसे प्राप्त होने वाले प्रोटीन कम नहीं होते। अधिकांश भारतीय लोगों का प्रोटीन पाने का साधन दालें और अनाज ही हैं।
कार्बोहाइड्रेट की तरह प्रोटीन भी शरीर को ऊर्जा दे सकते हैं। वास्तव में एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न होती है, परंतु इस प्रकार प्रोटीन को कैलोरी के रूप में जलाना फिजूल खर्ची होगी। अच्छा तो यह है कि हम इस ऊर्जा के लिए काफी कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करें और अतिरिक्त प्रोटीनों को उन आवश्यक कार्यों के लिए सुरक्षित रखें जिसे केवल वे ही पूरा कर सकते हैं।
जो प्रोटीन हम खाते हैं उनकी श्रेष्ठता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि उनकी मात्रा। पशुओं से प्राप्त होने वाले प्रोटीन जैसे कि मांस, मछली, अंडा और दूध काफी श्रेष्ठ होते हैं। जबकि पोषक तत्वों के आधार पर अंडे से प्राप्त प्रोटीन को 90 अंक दिये जायें तो मांस और दूध से प्राप्त प्रोटीन लगभग 70 अंक पायेंगे। परंतु सब्जी के प्रोटीन कम अंक प्राप्त करेंगे; दाल और चने को 50 से 55, गेहूं को 45, गेहूँ का सेवन दाल के साथ किया जाये तो प्रोटीन के कुल योग में वृद्धि हो जाती है। और यदि गेहूं और दाल का सेवन दूध अथवा दही के साथ किया जाये तो इस प्रकार प्राप्त होने वाले प्रोटीन की कोटि अधिक उच्च हो जायेगी जो कि उन तीनों से प्राप्त प्रोटीन से श्रेष्ठ होगी।
इस प्रकार मांस, मछली, अंडा और दूध सभी पशु प्रोटीन के स्रोत हैं। भारत में दाल और चने की कई किस्में जैसे कि : अरहर, मसूर, चने अथवा बंगाली चने, उड़द और मूंग आदि प्रोटीन का एक बड़ा महत्वपूर्ण स्रोत हैं, मूंगफली, बादाम, अखरोट, नारियल के टुकड़े तथा तिलहन आदि एक दूसरा प्रोटीन स्रोत हैं। साधारणतया चावल, गेहूं तथा अन्य खाद्यान्न प्रोटीन समृद्ध श्रेणी में नहीं आते क्योंकि इनमें केवल 6 से 9 प्रतिशत ही प्रोटीन की मात्रा होती है। परंतु क्योंकि हम लोग हर रोज काफी मात्रा में चावल और गेहूँ खाते हैं। इसलिए इनसे प्राप्त होने वाले प्रोटीन कम नहीं होते। अधिकांश भारतीय लोगों का प्रोटीन पाने का साधन दालें और अनाज ही हैं।
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