नेहरू बाल पुस्तकालय >> मेरी बहन नेहा मेरी बहन नेहामधु बी. जोशी
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नेहरू बाल पुस्तक...
‘‘जागो बेटा, आंखें खोलो, सुबह हो गई।’’
मां कहां है ? रोज तो मां जगाती है। फिर आज क्या हुआ ?
‘‘पापा, मां कहां है ?’’
‘‘मां अस्पताल में है,’’ पापा बोले।
अस्पताल में तो बीमार होने पर जाते हैं। वहां टीका लगाते हैं। कड़वी गोलियां खिलाते हैं। मां अस्पताल में है। मैं जोर से रोई, ‘‘मां को घर लाओ।’’
पापा हंसे, ‘‘रोओ मत, प्रीति।’’
‘‘मैं स्कूल कैसे जाऊंगी ?’’
मैं तैयार करूंगा तुम्हें। मैं छोड़ आऊंगा स्कूल,’’ पापा हंस रहे थे।
पापा ने मुझे तैयार किया। मुझे जूते पहनाए, मेरे बाल बनाए। पापा ने मुझे परांठे दिए और खूब सारा अचार। और दूध पीने की जिद भी नहीं की। मेरे पापा ! अच्छे पापा !
पापा मुझे स्कूल छोड़ने गए। रीतू अपनी मां के साथ आई। मीनू अपनी मां के साथ आई। सलिल और अजय भी अपनी मां के साथ आए। मेरी मां अस्पताल में है। जरूर बीमार है। मैं फिर रोने लगी। मेरा गला दुखने लगा।
सुमन मैडम बोलीं, ‘‘प्रीति, रो क्यों रही हो ?’’
‘‘मेरी मां अस्पताल में है।’’
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