संस्मरण >> बसन्त से पतझड़ तक बसन्त से पतझड़ तकरवीन्द्रनाथ त्यागी
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रवीन्द्रनाथ त्यागी हिन्दी साहित्य की व्यंग्य-वृहत् त्रयी के व्यंग्यकार है। विषय की प्रस्तुति में उनका अपना अंदाज है - मुखर और अट्टहास जगाने वाला। प्रस्तुत है उनका एक अनूठा संस्मरण।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
उनके व्यंग्य में हास्य का जबरदस्त पुट होता है। उनके शब्दों की भंगिमा अनायास हास्य की सृष्टि कर देती है। वक्रोक्ति से व्यंजना तक का भाषा चमत्कार पैदा करने में त्यागी जी के समकक्ष शायद ही हिन्दी का कोई व्यंग्यकार ठहरता हो।
त्यागी जी जीवन भर बेमेल व्यक्तियों और परिस्थितियों से जूझते रहे। उनका लेखन-कार्य भी कुछ बेमेल ही रहा - व्यंग्य और कविता वे साथ-साथ लिखते रहे, दोनों ही उनके मन की टीस के प्रतिफलन हैं। कहा जा सकता हैं कि मन की कचोट ही उन्हें हास्य-व्यंग्य की ऊँचाइयों पर ले गयी।
अब हमारे बीच त्यागी जी की स्मृतियाँ ही शेष हैं। ऐसे में उनके जीवन के मार्मिक संस्मरण जो उनके अपने अंदाज में लिखे गये थे, एक जगह पाना अपने आप में एक रोमांचक अनुभव है। लगता है हम प्रकारान्तर से यहाँ रवीन्द्रनाथ त्यागी की आत्मकथा का ही आस्वादन कर रहे हो, जो उनकी चिरपरिचित कटाक्ष-शैली का आनन्द भी देती है और जीवन के मार्मिक पलों को व्यंजित करने वाला जीवन-रस भी।
आशा है, हिन्दी पाठकों को यह रचना बेहद रोचक लगेगी और रवीन्द्रनाथ त्यागी जैसे बड़े लेखक की स्मृति को अन्तर्मन में ताजी रखेगी। भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है कि वह त्यागी जी की स्मृतियों को संजोकर अपने पाठकों को समर्पित कर रहा है।
त्यागी जी जीवन भर बेमेल व्यक्तियों और परिस्थितियों से जूझते रहे। उनका लेखन-कार्य भी कुछ बेमेल ही रहा - व्यंग्य और कविता वे साथ-साथ लिखते रहे, दोनों ही उनके मन की टीस के प्रतिफलन हैं। कहा जा सकता हैं कि मन की कचोट ही उन्हें हास्य-व्यंग्य की ऊँचाइयों पर ले गयी।
अब हमारे बीच त्यागी जी की स्मृतियाँ ही शेष हैं। ऐसे में उनके जीवन के मार्मिक संस्मरण जो उनके अपने अंदाज में लिखे गये थे, एक जगह पाना अपने आप में एक रोमांचक अनुभव है। लगता है हम प्रकारान्तर से यहाँ रवीन्द्रनाथ त्यागी की आत्मकथा का ही आस्वादन कर रहे हो, जो उनकी चिरपरिचित कटाक्ष-शैली का आनन्द भी देती है और जीवन के मार्मिक पलों को व्यंजित करने वाला जीवन-रस भी।
आशा है, हिन्दी पाठकों को यह रचना बेहद रोचक लगेगी और रवीन्द्रनाथ त्यागी जैसे बड़े लेखक की स्मृति को अन्तर्मन में ताजी रखेगी। भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है कि वह त्यागी जी की स्मृतियों को संजोकर अपने पाठकों को समर्पित कर रहा है।
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