आचार्य श्रीराम किंकर जी >> राम गुन गाऊँ राम गुन गाऊँश्रीरामकिंकर जी महाराज
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महाराजश्री द्वारा विरचित काव्य संग्रह.....
मन्थन बिना ही मिला अमृत असीम ऐसा...नित्य बाँटता हूँ और सुयश कमाता हूँ। लोग कहते हैं...‘‘धन्य चिन्तन तुम्हारा शुचि’’। सत्य कहता हूँ तो विनम्र कहलाता हूँ।। वन्दित हुआ हूँ, अभिनन्दित हुआ हूँ...,गुण मण्डित हुआ हूँ, ‘युग तुलसी’ कहाता हूँ। किन्तु राम-किकंर बनाओ करुणा निधान...नाम की बचाओ लाज विरद सुनाता हूँ।।
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