आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
अध्यात्म ही है सब कुछ
सृष्टि में अनेकों प्रकार के आनंददायक पदार्थ हैं, पर वे जड़ होने के कारण स्वयं किसी को किसी प्रकार का सुख-दुःख नहीं दे सकते। आत्मा की चेतना ही उन पदार्थों के साथ जब घुलती है, तब पदार्थ में रस उत्पन्न होता है और तभी वे सुखदायक लगने लगते हैं। यदि आत्मा की अनुभूति उनके प्रतिकूल हुई तो वे दुःखदायक बन जाते हैं। इस संसार में पदार्थ कोई भी ऐसा नहीं है, जो अपने आप किसी को सुख या दुःख दे सके।
संसार में अनेकों सुंदर दृश्य पदार्थ मौजूद हैं, पर यदि अपनी आँखें जाती रहीं, दिखाई न पड़े तो सृष्टि के सभी पदार्थ अदृश्य हो जायेंगे, सर्वत्र अंधकार ही छाया दिखेगा। दृश्य पदार्थों की सारी सुंदरता नष्ट हो जायेगी। संसार में बहुत-बहुत मधुर शब्दों की ध्वनि होती है। पक्षियों का कलरव, मेघ-गर्जन, मधुर-भाषण, प्रेमालाप, बालकों की तोतली बोली, गायन, वाद्य, प्रवचन आदि बहुत कुछ सुनने योग्य इस संसार में मौजूद है, पर यह सब है तभी तक जब तक अपने कानों में चैतन्यत्व जाग्रत् है। यदि कानों की सजीवता जाती रहे तो यह सारी शब्द-धारा समाप्त हो जायेगी, तब सर्वत्र नीरवता का साम्राज्य ही दीखेगा।
जिह्वा में कोई रोग हो जाये, मुँह में छाले भर जाएँ या स्वाद अनुभूति की इंद्रिय में कोई विकार आ जाए, तो फिर संसार के सुस्वादु पदार्थों में क्या विशेषता रह जायेगी? उत्तम से उत्तम भोजन भी मिट्टी जैसे स्वादहीन लगेंगे। नपुंसकता या कोई और मूत्रंद्रिय का रोग हो जाये तो काम सेवन की सारी सुविधायें रहते हुए भी उस संबंध में कोई आनंद शेष न रहेगा। पेट की पाचन-क्रिया काम न करे तो पौष्टिक पदार्थों का सेवन भी भला शरीर का क्या पोषण कर सकेगा? यदि मस्तिष्क की सजीवता कुंठित हो जाए, मूढ़ता, स्मरण शक्ति का लोप, उन्माद आदि कोई रोग घेर ले तो फिर ज्ञान-संपादन के अगणित साधन होते हुए भी अपना क्या लाभ होगा? तब विद्यालयों, ग्रंथों, शिक्षकों एवं अन्यान्य ज्ञान-वर्धक सुविधाओं से भी क्या प्रयोजन सिद्ध होगा?
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न