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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 1999
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4267
आईएसबीएन :00000

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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक


बहुत आमदनी होने पर तो कोई भी सुख-साधन इकट्ठे कर सकता है, पर अध्यात्मवादी के लिए कम आमदनी में भी धनियों की अपेक्षा अधिक सुखपूर्वक जीवनयापन करना संभव है। आमदनी की मर्यादा में ही अपना बजट चलाना, फिजूलखर्चियों को त्याग देना, मितव्ययिता और विवेकपूर्वक एक-एक पाई का खर्च करना, शौकीनी और विलासिता से घृणा करते हुए सादगी को अपनाना, खर्च में दूसरों की होड़ न करके अपनी ही परिस्थितियों में संतोष रखना आदि अनेक सद्गुण आध्यात्मिकता की ही देन है, जो गरीबी में भी अमीरी का आनंद उपलब्ध करा सकते हैं। इन गुणों के होने पर गरीबी-गरीबी नहीं लगती और इनके अभाव में अमीरी भी रूखी, फीकी, असंतोषजनक एवं अपर्याप्त लगती है।

स्वास्थ्य की समस्या का संबंध लोग पौष्टिक आहार से जोड़ते हैं। सोचते हैं कि बढ़िया खाना मिले तो तंदुरुस्ती बढ़े। पर वास्तविकता यह है कि मानसिक स्थिति पर ही आरोग्य निर्भर रहता है। हंसमुख, चिंतारहित, सरल स्वभाव, निष्कपट, सदाचारी व्यक्ति आमतौर से स्वस्थ रहते हैं, क्योंकि उनका अंतःकरण उस आग में नहीं जलता रहता, जो स्वास्थ्य को चौपट करने में सबसे बड़ा कारण सिद्ध होती है। असंयम भी स्वास्थ्य की बर्बादी का एक महत्त्वपूर्ण कारण है जिह्वा का चटोरापन, अंटशंट चीजें अनावश्यक मात्रा में पेट में ठूसते रहने के फलस्वरूप आँतें खराब होती हैं, रक्त दूषित होता है और नाना प्रकार की बीमारियाँ जड़ जमाती हैं। ब्रह्मचर्य संबंधी असंयम शरीर को खोखला कर देता है और युवावस्था में ही बुढ़ापा लाकर अल्पायु में मरने के लिए विवश करता है। इससे शरीर का हर अंग क्षीण और दुर्बल होने लगता है और बीमारियाँ घेरती हैं।

लौकिक जीवन में आरोग्य, धन, स्नेह-सौजन्य यह तीन ही सबसे बड़ी विभूतियाँ मानी गई हैं, इन्हीं से मनुष्य अपने को सुखी अनुभव करता है। यह तीनों ही विभूतियाँ अध्यात्म के छोटे से उपहार हैं, जिन्हें सच्चे अध्यात्मवाद का कोई भी उपासक निश्चित रूप से प्राप्त कर सकता है। आंतरिक जीवन की वह सुख-समृद्धि तो इन लाभों के अतिरिक्त ही है, जिन्हें प्राप्त करने वाला अपने को सब प्रकार से धन्य और कृतकृत्य अनुभव करता है।



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    अनुक्रम

  1. भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
  2. क्या यही हमारी राय है?
  3. भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
  4. भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
  5. अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
  6. अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
  7. अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
  8. आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
  9. अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
  10. अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
  11. हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
  12. आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
  13. लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
  14. अध्यात्म ही है सब कुछ
  15. आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
  16. लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
  17. अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
  18. आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
  19. आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
  20. आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
  21. आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
  22. आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
  23. अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
  24. आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
  25. अपने अतीत को भूलिए नहीं
  26. महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न

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