| आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
 पारस्परिक सद्भावनाएँ जिस प्रकार बढ़ सकें, व्यक्ति अपनी तृष्णा और वासना पर जिस प्रकार नियंत्रण रख सके, दूसरों की सेवा सहायता करते हुए जिस प्रकार वह संतोष लाभ कर सके, उसी आधार को बलवान् करने से मनुष्य अधिक सभ्य, अधिक पवित्र, अधिक श्रेष्ठ एवं अधिक महान् बन सकेगा। यह श्रेष्ठता ही देवत्व है। मनुष्य असुर भी है और देवता भी। दुर्बुद्धि और दुष्टता को अपनाकर वह असुर बन जाता है, सद्बुद्धि एवं सज्जनता को धारण कर देवता के रूप में परिलक्षित होता है। बढ़ी हुई असुरता के कारण आज चारों ओर अंधकार एवं विपत्तियों की काली घटाएँ घुमड़ रही हैं, इनको हटाया जाना तभी संभव है, जब देवत्व का तूफानी पवन चलने और आध्यात्मिकता का प्रचंड सूर्य उदय होने लगे। हमारे सत्प्रयत्नों से यह सर्वथा संभव है। मनुष्य की आत्मिक शक्ति की महत्ता अत्यधिक प्रबल है। 
 
 साधारण लोगों का संघबल असाधारण लगने वाले, आश्चर्यजनक दीखने वाले कठिन कार्यों को पूरा कर दिया करता है, फिर अध्यात्म का आधार लेकर चलने वाले, सदुद्देश्य एवं विश्व शांति के लिए आत्म-त्याग करने वाले लोगों का समूह यदि अपनी गहन श्रद्धा का संबल पकड़कर अग्रसर होगा तो क्या युग-निर्माण का सपना, सपना ही बना रहेगा या वह योजना, योजना मात्र ही बनी रहेगी? नहीं, ऐसा हो नहीं सकता। युग, अपनी पुकार किन्हीं भी छोटे-बड़े लोगों को निमित्त बनाकर अपने आप पूरा कर लिया करता है। समय की आवश्यकतायें किसी न किसी माध्यम से पूरी होकर रहती हैं। अशांति की विपन्न परिस्थितियों से संत्रस्त मानवता की आज एक ही पुकार है-मानवता का युग आये। यह पुकार अनसुनी नहीं रह सकती है, न ही उपेक्षित। वह सुनी भी जायेगी और पूर्ण भी होगी। फिर उस सफलता का श्रेय लाभ करने में हम भी सम्मिलित क्यों न हों? अपनी आध्यात्मिक साधना को अधूरी, लंगड़ी एवं एकांगी रखने की अपेक्षा उसे सर्वांगपूर्ण बनाने का प्रयत्न क्यों न करें?
 
 
 
 			
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न

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