आचार्य श्रीराम शर्मा >> पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्यश्रीराम शर्मा आचार्य
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पुनर्जन्म एक ध्रुव सत्य....
फ्रांसीसी बालक जान लुई कार्दियेक तीन माह का था तभी अँग्रेजी बोलने लगा। अमेरिका का दो वर्षीय बालक जेम्स सिदिम छह विदेशी भाषाएँ धड़ल्ले से बोल सकता था। इंग्लैण्ड के एक श्रमिक पुत्र जार्ज को चार वर्ष की आयु में कठिनतम गणित का प्रश्न हल करने में दो मिनट लगते थे। जो लोग पुनर्जन्म का अस्तित्व नहीं मनाते, मनुष्य को चलता-फिरता पौधा भर मानते हैं, शरीर के साथ चेतना का उद्भव और मरण के साथ उसका अंत मानते हैं वे इन असमय उदय हुई प्रतिभाओं की विलक्षणता का कोई समाधान नहीं ढूँढ पाएँगे। वृक्ष-वनस्पति, पशु-पक्षी सभी अपने प्रगति क्रम से बढ़ते हैं, उनकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विशेषताएँ समयानुसार उत्पन्न होती हैं। फिर मनुष्य के असमय ही इतना प्रतिभा सम्पन्न होने का और कोई कारण नहीं रह जाता कि उसने पूर्व जन्म में उन विशेषताओं का संचय किया हो और वे इस जन्म में जीव चेतना के साथ ही जुड़ी चला आई हों।
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