आचार्य श्रीराम शर्मा >> मैं क्या हूँ ? मैं क्या हूँ ?श्रीराम शर्मा आचार्य
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अपनी आत्मा के सच्चे स्वरूप का बोध कराने वाली पुस्तक....
इस संसार में जानने योग्य अनेक बातें हैं। विद्या के अनेकों सूत्र हैं, खोज के लिए जानकारी प्राप्त करने के लिए, अमित मार्ग है। अनेको विज्ञान ऐसे हैं, जिनकी बहुत कुछ जानकारी मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है। क्यों ? कैसे ? कहाँ ? कब ? के प्रश्न हर क्षेत्र में वह फेंकता है। इस जिज्ञासा भाव के कारण ही मनुष्य अब तक इतना ज्ञानसम्पन्न और साधन सम्पन्न बना है। सचमुच ज्ञान ही जीवन का प्रकाश स्तंभ है।
जानकारी की अनेक वस्तुओं में से ‘‘अपने आप की जानकारी’’ सर्वोपरि है। हम बाहरी अनेक बातों को जानते हैं या जानने का प्रयत्न करते हैं, पर यह भूल जाते हैं कि हम स्वयं क्या हैं ? अपने आपके ज्ञान प्राप्त किये बिना जीवन क्रम बड़ा डाँवाडोल, अनिश्चित और कंटकाकीर्ण हो जाता है। अपने वास्तविक स्वरूप की जानकारी न होने के कारण मनुष्य न सोचने लायक बातें सोचता है और न करने लायक कार्य करता है। सच्ची सुख-शांति का राजमार्ग एक ही है, और वह है-‘‘आत्मज्ञान।’’इस पुस्तक में आत्मज्ञान की शिक्षा है। ‘मैं क्या हूँ ?’’ इस प्रश्न का उत्तर शब्दों द्वारा नहीं, वरन् साधना द्वारा ह्रदयंगम कराने का प्रयत्न इस पुस्तक में किया गया है। यह पुस्तक अध्यात्म मार्ग के पथिकों का उपयोगी पथ प्रदर्शन करेगी, ऐसी हमें आशा है।
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