कहानी संग्रह >> महके आंगन चहके द्वार महके आंगन चहके द्वारकन्हैयालाल मिश्र
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सहज, सरस संस्मरणात्मक शैली में लिखी गयी प्रभाकर जी की रचना महके आंगन चहकें द्वार।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
वैवाहिक जीवन का आरम्भ भावुकता में होता है पर उसकी पूर्णता एक यथार्थ है। भावुकता और यथार्थ में सामंजस्य स्थापित करने की कला ही सुखमय दाम्पत्य की कुंजी है। दाम्पत्य जीवन के गाढ़े अनुभवों और चिन्तन से परिपूर्ण यह कृति लेखक की पारम्परिक उपलब्धियों में से एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। और यही क्यों, यदि व्यापक परिपेक्ष्य में इसी बात को देखें-समझे तो यह कृति पूरी सामाजिक स्थितियों-परिस्थितियों के प्रति एक विनियोग भी है। आदि से अन्त तक एकसूत्रित और अति रोचक...
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