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सवाल ही जवाब है

एलन पीज़

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4150
आईएसबीएन :978-81-86775-06

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एलन पीज़ की किताब(questions are the answers) का हिन्दी रूपान्तरण...

Sawal Hi Jawab Hai - A Hindi Book - by Alan Peas

परिचय


एलन पीज देहभाषा पर विश्व के सर्वाधिक प्रसिद्ध विशेषज्ञ हैं। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘बॉडी लैंग्वेज’ 33 भाषाओं में चालीस लाख प्रतियों से अधिक बिकी है। टी वी सीरिलय में 10 करोड़ से अधिक दर्शकों ने उनका ‘बॉडी लैंग्वेज’ पर आधारित कार्यक्रम देखा है। वे पाँच बेस्टसेलर्स के लेखक हैं जिनमें से एक why men don’t listen and women can’t read maps उन्होंने बारबरा पीज़ के साथ लिखी है।

सवाल ही जवाब हैं (questions are the answers) में एलन पीज़ पहली बारनेटवर्क मार्केटिंग में प्रयुक्त सर्वाधिक उल्लेखनीय तकनीकों को समझाते हैं। सरल तकनीकों, आज़माये हुए नुस्खों और सशक्त रणनीतियों के द्वारा आप यह सीख सकेंगे कि किस तरह आप अपने नेटवर्किंग व्यवसाय को उस शिखर तक ले जायें जिसकी आपने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी। यह पुस्तक कम मेहनत से अधिक अमीर बनने के नुस्खे बताती है। अगर आप नेटवर्क मार्केटिंग में नहीं हैं तो भी इससे आपको लोगों को समझने और समझाने की बहुमूल्य तकनीकें सीखने को मिलेंगी।

खण्ड एक
पहला कदम


ज़िंदगी की ज़्यादातर चीज़ों की तरह बहुत कम लोग इस खंड के शुरू में दिये गये चित्र को देखकर इसका स्पष्ट अर्थ समझ पाते हैं। अप्रशिक्षित आँख के लिये यह असंबद्ध रेखाओं की सिर्फ एक श्रंखला है जिसका कोई मतलब नहीं निकलता। पर जब आप रेखाओं या लाइनों के बीच में पढ़ने की कला सीख लेंगे तो आप महसूस करेंगे कि आपको इसका मतलब जानने के लिये अपने नज़रिये को थोड़ा सा बदलना पड़ेगा। और इस पुस्तक के जरिये हम आपको यही करना सिखाना चाहते हैं। (इस पृष्ठ को ज़रा सा झुकाकर न्यून कोण बनाये और अपने से थोड़ा दूर रखकर एक आँख बंद कर के इसे ध्यान से देखें।)

सफलता के पाँच स्वर्णिम नियम


ग्यारह साल की कम उम्र में मुझे मेरा पहला काम सौंपा गया। मेरे स्काउट टूप के लिये एक हॉल बनने वाला था। इसके लिये पैसे जुटाने के उद्देश्य से मुझे घरेलू काम में आने वाले स्पंज बेचने का काम दिया गया। स्काउट मास्टर एक बृद्ध और समझदार आदमी थे उन्होंने मुझे एक रहस्य बताया जिसे मैं परिणाम का नियम कहना चाहूँगा। मैं इस नियम के अनुसार ज़िंदगी भर चला हूँ और मैं यह निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि जो भी इसका अभ्यास करेगा और इसके अनुसार चलेगा वह अंततः अवश्य ही सफल होगा। मैं आपको यह नियम उसी तरह बताऊंगा जिस तरह यह मुझे बताया गया था, ‘सफलता एक खेल है–आप जितनी ज़्यादा बार इसे खेलेंगे उतनी ही ज़्यादा बार जीतेंगे और जितनी ज़्यादा बार आप जीतेंगे, उतनी ही ज़्यादा सफलता से आप इसे खेल सकेंगे।’

इस नियम को नेटवकिंग में अपनायें


अगर आप ज़्यादा लोगों को अपनी योजना में शामिल होने का आमंत्रण देंगे तो देंगे तो ज़्यादा लोग आपके साथ शामिल होंगे। जितनी ज़्यादा बार आप उन्हें शामिल होने का आमंत्रण देंगे, आप आमंत्रण देने की अपनी कला को उतना ही निखारते जायेंगे और पहले से बहतर बनाते जायेंगे। दूसरे शब्दों में, आपको ज़्यादा से ज़्यादालोगों को अपने साथ जुड़ने का आमंत्रण देना है।

नियम # 1 : ज़्यादा लोगों से मिलिये


यह सबसे महत्त्वपूर्ण नियम है। जिसके पास भी सुनने की फुरसत हो, उससे बातें करना चालू कर दीजिये। इस मामले में घमंडी या बहानेबाज़ मत बनिये जो अच्छे संभावित ग्राहकों को छांटकर नकारने की कोशिश करता हो। अगर संभावित ग्राहकों की सूची पर नज़र दौड़ाते वक़्त आप यह सोचने लगें...ये ज़्यादा उम्र वाले हैं...ये ज़्यादा युवा हैं,...ये ज़्यादा अमीर हैं,...ये ज़्यादा गरीब हैं,...ये ज़्यादा दूर रहते हैं, ...ये ज़्यादा स्मार्ट हैं आदि-आदि, तो समझ लीजिये कि आप असफलता के मार्ग पर जा रहे हैं। अपने बिज़नेस को जमाने के शुरूआती दौर में आपको हर एक से बात करने की ज़रूरत है क्योंकि आपको अभ्यास की ज़रूरत है। जब आप अपने व्यवसाय के बारे में हर एक से बात करते हैं, तो औसत का नियम यह सुनिश्चित करता है कि आप सफल होंगे, सवाल सिर्फ़ यह रह जाता है कि आप कितने सफल होंगे। आपके बिज़नेस में ऐसी कोई समस्या नहीं है, जो आपकी गतिविधि या सक्रियता में वृद्धि से न सुलझ सके। अगर आप अपनी ज़िंदगी की दिशा के बारे में चिंतित हों, तो बस, आप अपनी प्रस्तुतियों की संख्या को दोगुना कर दें। अगर आपका व्यवसाय उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रहा है जितना आप चाहते हैं तो आप कुछ न करें, सिर्फ़ अपनी सक्रियता बढ़ा दें। बढ़ी हुई सक्रियता आपकी ज्यादातर चिंताओं का अचूक इलाज है। हर किसी से बात कीजिये। यह पहला नियम है।

नियम # 2 : ज़्यादा लोगों से मिलिये


लोगों को फोन करते रहें। हो सकता है कि आप शहर के सबसे बढ़िया प्रस्तुतकर्ता हों पर अगर आप पर्याप्त संभावित ग्राहकों से नहीं मिलते हैं तो आप अपने बिज़नेस में ज़्यादा सफल नहीं हो सकते। हो सकता है कि आपकी वेशभूषा बढ़िया हो और आपका व्यक्तित्व सराहनीय हो लेकिन अगर आपकी प्रस्तुतियों की संख्या ज़्यादा नहीं है तो आपका प्रदर्शन सामान्य ही रहेगा। इसलिये हर एक से मिलिये, हर एक से बात करिये।

नियम # 3 : ज़्यादा लोगों से मिलिये


नेटवर्क में मौजूद ज़्यादातर लोग इस बिज़नेस में सिर्फ़ ढर्रे पर ही चलते रहते हैं और अपनी पूरी क्षमता का दोहन नहीं कर पाते। वे सोचते हैं कि ऐसा उन संभावित ग्राहकों के कारण होता है जिन्हें वे राजी नहीं कर पाते। पर यह सच नहीं है–सच तो यह है कि ऐसा उन संभावित ग्राहकों के कारण होता है जिनमें वे मिल नहीं पाते।

आप लगातार लोगों से मिलकर अपनी बात कहते रहिये। अगर आप इन पहले तीन नियमों के अनुसार चलेंगे तो इसमें ज़रा भी संदेह नहीं है कि आप आशातीत सफलता प्राप्त कर लेंगे।

नियम # 4 : औसत के नियम का प्रयोग कीजिये


औसत का नियम ज़िंदगी के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है। इसका मतलब है कि अगर आप किसी काम को बार-बार एक ही ढंग से करते हैं और परिस्थितियां समान रहती हैं तो आपको मिलने वाले परिणाम भी हमेशा एक से ही होंगे।

उदाहरण के तौर पर, एक डॉलर की पोकर मशीन का औसत भुगतान लगभग 10 : 1 होता है। अगर आप दस बार बटन दबाते हैं तो आप कुल मिलाकर 60 सेंट से लेकर 20 डॉलर के बीच की रकम जीतते हैं। 20 डॉलर की जीत के आपके अवसर 118 : 1 हैं। इसमें किसी दक्षता या कुशलता की ज़रूरत नहीं है। मशीनों को तैयार ही इस तरह से किया गया है कि वे औसत या प्रतिशत के हिसाब से भुगतान करें।

बीमा व्यवसाय में मैंने 1 : 56 के औसत की खोज की। इसका मतलब था कि अगर मैं सड़कों पर जाकर यह नकारात्मक सवाल पूछूँ, ‘क्या आप अपने जीवन का बीमा नहीं कराना चाहते ?’–तो 56 में से एक आदमी मुझसे बीमा कराने के लिये तैयार हो जायेगा। इसका अर्थ यह है कि अगर मैं एक दिन में 168 बार यही सवाल करूँ तो मैं दिन में तीन बार सफल हो सकता हूँ और विक्रयकर्ताओं की चोटी के 5 प्रतिशत लोगों में जगह बना सकता हूँ।

अगर मैं किसी सड़क के कोने पर खड़ा होकर हर आने-जाने वाले से यह कहूँ, ‘ नेटवर्किंग बिज़नेस में मेरे साथ शामिल होना चाहेंगे ?’ तो औसत का नियम निश्चित रूप से आपको परिणाम देगा। शायद 1 : 100 का जवाब ‘हाँ’ होगा। याद रखें, औसत का नियम हमेशा काम करता है।
जब मैं छोटा बच्चा था और घर-घर जाकर 20 सेंट में घरेलू स्पंज बेचता था तो मेरा औसत थाः

10 : 7 : 4 : 2


मैं शाम 4 बजे से 6 बजे तक जिन 10 दरवाज़ों को खटखटाता था उनमें से 7 दरवाज़े ही खुलते थे। उनमें से भी केवल चार लोग ही मेरी प्रस्तुति सुनते थे और मात्र दो लोग ही स्पंज ख़रीदते थे। इस तरह से मैं 40 सेंट कमा लेता था जो 1962 में अच्छी-ख़ासी रकम थी–ख़ासकर एक ग्यारह वर्षीय लड़के के लिये। मैं एक घंटे में आराम से 30 दरवाज़ों को खटखटा सकता था और इस तरह दो घंटे की अवधि में मैं 12 स्पंज बेच लेता था जो 2.40 डॉलर के बराबर रकम थी। चूँकि मैं जान चुका था कि औसत का नियम किस तरह काम करता है इसलिये मुझे उन तीन दरवाज़ों की चिंता कभी नहीं हुई जो नहीं खुले, न ही उन तीन लोगों के बारे में चिंता हुई जिन्होंने मेरी बात नहीं सुनी, न ही उन दो लोगों के बारे में चिंता हुई जिन्होंने मेरा सामान नहीं ख़रीदा। मैं तो बस इतना जानता था कि अगर मैं दस दरवाज़ों पर दस्तक दूँगा तो मैं 40 सेंट कमा लूंगा। इसका मतलब यह था कि हर बार जब मैं दरवाज़े पर दस्तक दूंगा तो मैं 4 सेंट कमाऊंगा इसके बाद चाहे जो भी हो।

औसत का यह नियम मेरे लिये एक प्रभावशाली और प्रेरणादायक शक्ति था–दस दरवाज़ों पर दस्तक दो और 40 सेंट कमाओ। सफलता सिर्फ़ इस बात मैं छुपी हुई थी कि मैं कितनी जल्दी इन दरवाज़ों पर दस्तक दे सकता हूँ।

अपने अनुपात का रिकॉर्ड रखें


औसत का रिकॉर्ड रखना और अपनी बिक्री के आंकड़ों का रिकॉर्ड रखना एक शक्तिदायक प्रेरणास्त्रोत था। जल्द ही मैंने इस बात की परवाह छोड़ दी कि मेरे दरवाज़ा खटखटाने पर किसने दरवाज़ा नहीं खोला, किसने मुझे देखने के बाद मेरी बात को नहीं सुना या किसने मेरी बात सुनने के बाद मेरा सामान नहीं खरीदा। जब तक मैं बहुत सारे दरवाज़े खटखटाता था और अपनी बात कहने की कोशिश करता था, मैं सफल था। इस तरह से मैं आश्वस्त रह सकता था और दरवाज़ों पर दस्तक देने में मुझे आनंद आने लगा।
औसत और आंकड़ों का रिकॉर्ड रखने से आप सकारात्मक बनते हैं और अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।

यह न सिर्फ आपकी प्रेरणा का सतत स्त्रोत है बल्कि नकारे जाने को सहजता से लेने की कुंजी भी है। जब आप अपने औसत पर ध्यान रखते हैं तो आपको बाकी बातों की ख़ास चिंता नहीं होती। तब आप, जितनी जल्दी संभव हो, अगली मुलाक़ात करने के लिये प्रेरित होते हैं। औसत के नियम को समझे बिना आप केवल इतना ही सोच सकेंगे कि आगे क्या होगा। अगर कोई ‘न’ वह देगा तो आप निराश हो सकते हैं। अगर कोई दरवाज़ा नहीं खुलेगा तो आप उदास भी हो सकते हैं। पर अगर आप औसत के नियम को समझ लेते हैं और उसे स्वीकार कर लेते हैं, तो ऐसा नहीं होता। आप अपनी मुलाक़ातों/प्रस्तुतियों/नये सदस्यों के आंकड़ों को सामने रखते हुये औसत के अपने आंकड़े ख़ुद विकसित कर सकते हैं।

9 डॉलर की पोकर मशीन


जब मैं किशोरावस्था में था, मेरे पास एक सायंकालीन काम था। मैं बर्तन, चादर और कंबल बेचा करता था। तब मेरा अनुपात थाः

5 : 3 : 2 : 1


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Aniket Bhatt

Very good

Aniket Bhatt

Accha! Mast book hai