महान व्यक्तित्व >> झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाईकपिल
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रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय ...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
रानी लक्ष्मीबाई
बलिदानों की धरती भारत में ऐसे-ऐसे वीरों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने
रक्त से देशप्रेम की अमिट गाथाएं लिखीं। यहाँ की ललनाएं भी इस कार्य में
कभी किसी से पीछे नहीं रहीं, उन्हीं में से एक का नाम है-झाँसी की रानी
लक्ष्मी बाई। उन्होंने न केवल भारत की बल्कि विश्व की महिलाओं को
गौरवान्वित किया। उनका जीवन स्वयं में वीरोचित गुणों से भरपूर, अमर
देशभक्ति और बलिदान की एक अनुपम गाथा है।
लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी में हुआ था। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथीबाई था। पिता मोरोपंत तांबे अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के भाई चिमाजी अप्पा के मुख्य सलाहकार थे। माता भागीरथीबाई सुशील, चतुर और रूपवती महिला थीं।
लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम ‘मनु’ था। मोरोपंत और भागीरथीबाई बडे़ ही लाड़-प्यार से मनु का पालन- पोषण करने लगे। इस तरह धीरे-धीरे समय गुजरता गया इसी बीच मनु चार वर्ष की हुई तभी उनके ऊपर से माँ का साया उठ गया। मोरोपंत पत्नी की मृत्यु के शोक में डूब गये। यह खबर जब बिठूर में बाजीराव को मिली तो उन्होंने मोरोपंत को अपने पास बुलवा लिया।
लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी में हुआ था। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथीबाई था। पिता मोरोपंत तांबे अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के भाई चिमाजी अप्पा के मुख्य सलाहकार थे। माता भागीरथीबाई सुशील, चतुर और रूपवती महिला थीं।
लक्ष्मीबाई का बचपन का नाम ‘मनु’ था। मोरोपंत और भागीरथीबाई बडे़ ही लाड़-प्यार से मनु का पालन- पोषण करने लगे। इस तरह धीरे-धीरे समय गुजरता गया इसी बीच मनु चार वर्ष की हुई तभी उनके ऊपर से माँ का साया उठ गया। मोरोपंत पत्नी की मृत्यु के शोक में डूब गये। यह खबर जब बिठूर में बाजीराव को मिली तो उन्होंने मोरोपंत को अपने पास बुलवा लिया।
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