महान व्यक्तित्व >> सम्राट अशोक सम्राट अशोकनीरज
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इस पुस्तक में महान शासक सम्राट अशोक के जीवन पर प्रकाश डाला गया है।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सम्राट अशोक
सम्राट अशोक हमारे देश के महान् शासकों में एक था। वह मगध के सम्राट
चंद्रगुप्त मौर्य का पौत्र और बिंदुसार का पुत्र था। उसकी माता का नाम
सुभद्रांगी था, जो चंपकनगर के एक गरीब माता-पिता की पुत्री थी।
बचपन में अशोक बहुत चुस्त और शरारती प्रवृत्ति का बालक था। उस समय शिकार खेलना राजाओं और राजकुमारों का प्रिय खेल था। अशोक भी बचपन से शिकार खेलने में बहुत रुचि लेने लगा था। धीरे-धीरे वह शिकार में पूरी तरह निपुण हो गया। कुछ बड़ा होने पर उसने अपने पिता बिंदुसार के साथ प्रशासन के कार्यों में हाथ बँटाना शुरू कर दिया। वह अत्यन्त साहसी और बहादुर राजकुमार था। प्रशासन के कार्यों में सहयोग करते समय वह राज्य की प्रजा के कल्याण का सदैव ध्यान ध्यान रखता था। उसके इन गुणों से प्रभावित होकर प्रजा भी उसे बहुत चाहने लगी। बिंदुसार ने भी उसकी योग्यताओं को पहचान लिया था। अतः उसने अशोक को अवंति का शासक बना दिया। उस समय अशोक की आयु बहुत कम थी।
उज्जैन नगरी अवंति की राजधानी थी। वह नगरी उस समय ज्ञान और कला का केन्द्र मानी जाती थी। अवंति का शासन सँभालने के बाद अशोक एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में उभरने लगा। उसी दौरान उसे विदिशा नगर के एक व्यापारी की एक अत्यन्त सुंदर पुत्री शाक्य कुमारी से विवाह रचा लिया। विवाह के कुछ समय पश्चात् शाक्य कुमारी ने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को जन्म दिया।
बचपन में अशोक बहुत चुस्त और शरारती प्रवृत्ति का बालक था। उस समय शिकार खेलना राजाओं और राजकुमारों का प्रिय खेल था। अशोक भी बचपन से शिकार खेलने में बहुत रुचि लेने लगा था। धीरे-धीरे वह शिकार में पूरी तरह निपुण हो गया। कुछ बड़ा होने पर उसने अपने पिता बिंदुसार के साथ प्रशासन के कार्यों में हाथ बँटाना शुरू कर दिया। वह अत्यन्त साहसी और बहादुर राजकुमार था। प्रशासन के कार्यों में सहयोग करते समय वह राज्य की प्रजा के कल्याण का सदैव ध्यान ध्यान रखता था। उसके इन गुणों से प्रभावित होकर प्रजा भी उसे बहुत चाहने लगी। बिंदुसार ने भी उसकी योग्यताओं को पहचान लिया था। अतः उसने अशोक को अवंति का शासक बना दिया। उस समय अशोक की आयु बहुत कम थी।
उज्जैन नगरी अवंति की राजधानी थी। वह नगरी उस समय ज्ञान और कला का केन्द्र मानी जाती थी। अवंति का शासन सँभालने के बाद अशोक एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में उभरने लगा। उसी दौरान उसे विदिशा नगर के एक व्यापारी की एक अत्यन्त सुंदर पुत्री शाक्य कुमारी से विवाह रचा लिया। विवाह के कुछ समय पश्चात् शाक्य कुमारी ने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को जन्म दिया।
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