महान व्यक्तित्व >> फील्ड मार्शल करियप्पा फील्ड मार्शल करियप्पामनीष कुमार
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प्रस्तुत है फील्ड मार्शल करियप्पा का जीवन-परिचय....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
फील्ड मार्शल करियप्पा
भारतीय सेना के गौरव फील्ड मार्शल करिअप्पा का पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा
करिअप्पा था। उनका जन्म 28 फरवरी, 1899 को पूर्ववर्ती कूर्ग में
शनिवर्सांथि नामक स्थान पर हुआ था। इस स्थान को अब
‘कुडसुग’
नाम से जाना जाता है।
करिअप्पा के पिता कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे। वे वह अपने परिवार सहित लाइम कॉटेज में रहा करते थे। करिअप्पा के तीन भाई तथा दो बहनें भी थीं। करिअप्पा को घर के सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा’ कहकर पुकारते थे।
बालक करिअप्पा का प्रकृति से गहरा लगाव था।
वह बचपन से ही प्रतिदिन कावेरी नदी ‘कावेरी अम्मा’ की पूजा करते थे। करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई। वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, किन्तु गणित, चित्रकला उनके प्रिय विषय थे। फुरसत के क्षणों में वह प्रायः कैरीकेचरी बनाया करते थे। सन् 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात् इसी वर्ष उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में प्रवेश ले लिय़ा। कालेज जीवन में प्राध्यापक डब्लू.एच. विट्वर्थ व अध्यापक एस.आई. स्ट्रीले का करिअप्पा पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनके मार्गदर्शन में करिअप्पा का किताबों के प्रति लगाव बढ़ता गया। एक होनहार छात्र के साथ-साथ वह क्रिकेट, हॉकी, टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी रहे।
करिअप्पा के पिता कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे। वे वह अपने परिवार सहित लाइम कॉटेज में रहा करते थे। करिअप्पा के तीन भाई तथा दो बहनें भी थीं। करिअप्पा को घर के सभी लोग प्यार से ‘चिम्मा’ कहकर पुकारते थे।
बालक करिअप्पा का प्रकृति से गहरा लगाव था।
वह बचपन से ही प्रतिदिन कावेरी नदी ‘कावेरी अम्मा’ की पूजा करते थे। करिअप्पा की प्रारम्भिक शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई। वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे, किन्तु गणित, चित्रकला उनके प्रिय विषय थे। फुरसत के क्षणों में वह प्रायः कैरीकेचरी बनाया करते थे। सन् 1917 में स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात् इसी वर्ष उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में प्रवेश ले लिय़ा। कालेज जीवन में प्राध्यापक डब्लू.एच. विट्वर्थ व अध्यापक एस.आई. स्ट्रीले का करिअप्पा पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनके मार्गदर्शन में करिअप्पा का किताबों के प्रति लगाव बढ़ता गया। एक होनहार छात्र के साथ-साथ वह क्रिकेट, हॉकी, टेनिस के अच्छे खिलाड़ी भी रहे।
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