चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट >> चंदामामा का पाजामा चंदामामा का पाजामासुभद्रा मालवी
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इस चित्र-पुस्तक में सम्मिलित कविताएँ चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित बाल-साहित्य लेखन प्रतियोगिता में पुरस्कृत रचनाएँ हैं।
Chandamama Ka Pajama
प्रस्तुत है पुस्तक के कुछ अंश
अपना घर
आओ तुमको दिखलाता हूँ,
एक जगह मैं ऐसी।
नहीं दूसरी दुनिया में,
कोई भी उसके जैसी।
ये हैं मेरे मम्मी-पापा,
ये है मेरा भैया।
नाच रही वो छोटी बहना,
करके ता-ता थैया।
यह सारी दुनिया अच्छी है,
अच्छे हैं सब गाँव-शहर।
लेकिन सबसे प्यारा लगता,
सबको अपना-अपना घर।
एक जगह मैं ऐसी।
नहीं दूसरी दुनिया में,
कोई भी उसके जैसी।
ये हैं मेरे मम्मी-पापा,
ये है मेरा भैया।
नाच रही वो छोटी बहना,
करके ता-ता थैया।
यह सारी दुनिया अच्छी है,
अच्छे हैं सब गाँव-शहर।
लेकिन सबसे प्यारा लगता,
सबको अपना-अपना घर।
हुआ सवेरा
आँखें खोलो, आलस त्यागो,
हुआ सवेरा अब तो जागो!
सूरज आसमान में चमका,
धरती का है कण-कण दमका।
दिशा-दिशा का मिटा अँधेरा,
धरती पर किरणों का डेरा।
जाग उठा है कोना-कोना,
ठीक नहीं अब इतना सोना।
आँखें खोलो, आलस त्यागो,
हुआ सवेरा अब तो जागो!
हुआ सवेरा अब तो जागो!
सूरज आसमान में चमका,
धरती का है कण-कण दमका।
दिशा-दिशा का मिटा अँधेरा,
धरती पर किरणों का डेरा।
जाग उठा है कोना-कोना,
ठीक नहीं अब इतना सोना।
आँखें खोलो, आलस त्यागो,
हुआ सवेरा अब तो जागो!
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