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सोयी हुई हीर

कर्त्तार सिंह दुग्गल

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :179
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 383
आईएसबीएन :81-263-1082-0

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पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकारों में अन्यतम कर्त्तार सिंह दुग्गल की चर्चित कहानियों का एक विशेष संकलन

Soi Hui Heer - A Hindi Book by - Kartar Singh Duggal सोयी हुई हीर - कर्त्तार सिंह दुग्गल

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकारों में अन्यतम कर्त्तार सिंह दुग्गल की चर्चित कहानियों का एक विशेष संकलन है "सोयी हुई हीर"। दुग्गल जिस वर्ग का चित्रण करते हैं, उनकी सच्ची तस्वीर उतारने में उनकी परम्परा देखने लायक है। वे सच्चाई का प्रेरक और मानवीय पक्ष उकेरते हैं। स्वयं दुग्गल मानते हैं कि - अच्छी कहानी वह है जिसे पढ़कर अच्छे भाव जाग्रत हो। वे जीवन के स्वस्थ मूल्यों और कला के स्वस्थ मूल्यों में कोई अन्तर नहीं मानते। इस संग्रह की सभी रचनाओं से इस बात की पुष्टि होती है।

दुग्गल की कहानियों में हमें सौन्दर्य-बोध के दर्शन होते हैं, व्यक्ति के अकेलेपन की प्रतीति होती है, सामाजिक न्याय का बोध होती है, सहानुभूतिपूर्ण कसक का अहसास होता है तथा व्यक्ति और समाज के रिश्तों की पड़ताल नज़र आती हैं। यानि उनकी कहानियों के अनेक रंग और शेड्स हैं। ऊपर से ये कहनियाँ जितनी सहज और मासूम दिखती हैं, उतनी ही भीतर से संवेदात्मक और गहन हैं। उनका प्रभाव देर तक मन पर बना रहता है।

विविध संग्रहों से चुनी दुग्गल जी की ये प्रतिनिधि कहानियाँ कहानी-कला की खूबियों से पाठकों को परिचित कराने में सफल होती हैं।

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