भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
अध्याय ३
नीति की कहावतें
आठ कठौती मट्ठा पीवै, सोलह मकुनी खाय।
तिनके मरे न रोइये, घर को दरिद्दर जाय।।
जो मनुष्य आठ कठौती मट्ठा पीता है, मकुनी की सोलह रोटी खाता है, ऐसे आदमी के मरने पर न रोइये, घर का दरिद्र चला जाता है, ऐसा आदमी बड़ा निकम्मा होता है।
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