भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
कड़हल भदई बोओ यार, तब चिउरा की होय बहार।
भली भाँति खोदी हुई भूमि में भदई धान बोने से चिउड़ा खाने में आनन्द मिलता
है।
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