भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
|
96 पाठक हैं |
घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
कपड़ा पहिने तीन बार, बुद्ध वृहस्पति शुक्रवार।
जो न निभै तो फिर इतवार, घाघ कहै यह सोंच विचार।।
बुद्ध, गुरु और शुक्रवार को नवीन वस्त्र धारण करना चाहिये। यदि न निभ सके
तो इतवार को भी पहना जा सकता है, अन्य दिनों में नहीं।
|
लोगों की राय
No reviews for this book