भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
रात दिना घम छाँही, घाघ कहै अब बरखा नाहीं।
पूनों पड़वा गाजै, दिना बहत्तर बाजै।।
घाघ कवि कहते हैं कि रात दिन घूले छाई रहे तो वर्षा नहीं होगी। यदि जेठ
मास की पूनो और परीवा को बादल गरजे तो समझ लो कि दो माह तक वर्षा न
होगी।
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