भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
|
96 पाठक हैं |
घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
पुरवा में जो पक्या बहै, हॉस के नारि पुरुष से कहै।
वह बरसे ई करै भतार, घात कहै यह सगुन विचार।।
पूर्वी और पश्चिमी हवा सायंकाल चले तो वर्षा अवश्य होगी। यदि स्त्री पराये
पुरूप से हँसकर बात करे तो समझ लेना चाहिये कि वह सी दूसरा पति करेगी।
|
लोगों की राय
No reviews for this book