भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
नसकट पनही बतकट जोय, जो पहिलौटी बिटिया होय।
तातरि कृषि बौरहा भाई, घाघ कहै दुख कहाँ समाई।।
पैर काटने वाले जूते, बात काटने वाली औरत, पहली सन्तान यदि पुत्री हो,
थोड़ी खेती तथा पागल भाई ये सभी दुखदाई हैं।
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