भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
शुक्रवार की बादरी, रही शनीचर छाय।
ऐसा बोले भड्डरी, बिन बरसे ना जाय।।
यदि शुक्रवार के दिन होने वाले बादल शनिवार तक घिरे। रहें तो अवश्य वर्षा
होगी।
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