भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
सोम शनीचर पुरुब न चालू, मंगल बुद्ध उत्तर दिशि कालू।
जो बीफ को दक्खिन जाय, निरपराधहू जूता खाय।
बुद्ध कहै मैं बड़ो सयाना, मोरे दिन जिन करो पयाना।
कौड़ी से नहिं भेंट कराऊँ, किन्तु कुशल से घर पहुँचाऊँ।
इक्का सुक्का पश्चिमवार, यात्रा को करिये न विचार।।
सोमवार तथा शनिवार को पूर्व दिशा में, मंगल व बुद्ध को उत्तर दिशा में,
गुरुवार को दक्षिण दिशा और इतवार शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा
वर्जित है।
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