भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
पूरब गुथूली पश्चिम प्रात, उत्तर दोपहर दक्खिन रात।
का परै भद्रा का दिक्शूल, कहै भड्डरी सब चकनाचूर।।
यदि भद्रा या दिक्शुले हो और जाना आवश्यक हो तो, पूर्व दिशा में गोधूलि के
समय, पश्चिम में प्रातःकाल, उत्तर में दोपहर के समय और दक्षिण दिशा में
रात को प्रस्थान करना चाहिये।
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