लोगों की राय

भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें

घाघ और भड्डरी की कहावतें

देवनारायण द्विवेदी

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :95
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 3731
आईएसबीएन :81-288-1368-4

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

96 पाठक हैं

घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।


छींक विचार

सनमुख छींक लड़ाई भाषै, पीठ पाछली सुख अभिलाषै।।
छींक दाहिनी धन को नासै, वाम छींक सुख सदा प्रकासैः।।
अँची छींक महा सुखकारी, नीची छींक महा भयकारी।।
अपनी छींक महा दुखदायी, कह भड्डर जोसी समझाई।।
अपनी छींक राम बन गयॐ सीता हरन तुरन्तै भय।।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book