भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
छींक विचार
छींक दाहिनी धन को नासै, वाम छींक सुख सदा प्रकासैः।।
अँची छींक महा सुखकारी, नीची छींक महा भयकारी।।
अपनी छींक महा दुखदायी, कह भड्डर जोसी समझाई।।
अपनी छींक राम बन गयॐ सीता हरन तुरन्तै भय।।
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