भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
वास-विचार
मङ्गल दिन काली भवन, बुध दिन रजक सनेह।।
गुरु दिन ब्राह्मण के बसें, भृगु दिन वैश्य मंझार।
सात दिन वेश्या के बसै, भडर कहें विचार।।
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