भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
अश्विन गलिया अंत निवासै, गली रेवती जल का नासै।
भरनी नस तृनो संहूतौ, कृतिका बरसे अंत बहुतौ।।
यदि चैत मास में अश्विनी नक्षत्र बरस जावे तो क्वार में झूरा पड़ेगा।
रेवती बरसेगी तो वर्षा न होगी। यदि भरणी नक्षत्र बरसेगा तो तृण भी नष्ट हो
जायेगा। यदि कृतिका नक्षत्र के अन्त में वर्षा हो तो अच्छी वर्षा होगी।
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