भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
कृष्ण अषाढ़ी प्रतिप्रदा, जो अम्बर गरजन्त।
क्षत्री क्षत्री जूझिया, निहचै काल पड़न्त।।
यदि अषाढ़ बदी प्रतिपदा को आसमान में बादल गरजें तो निश्चय जानिये कि
युद्ध होगा और दुर्भिक्ष पड़ेगा।
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