भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
सुदि आषाढ़ की पंचमी, गरज धमधमा होय।
तौ या जानौ भड्डरी, मधुरी मेघा होय।।
यदि आषाढ़ सुदी पंचमी को बिजली चमके तो अच्छी वर्षा होगी।
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