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आचार्य श्रीराम शर्मा >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान

आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :41
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 372
आईएसबीएन :00-000-00

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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।


अब इस बात पर विचार करना चाहिए कि कौन मनुष्य किस तरीके से देखता भालता है। साफ, खुलासा और निधड़क दृष्टि से देखने वाले व्यक्तियों का चरित्र ऐसा होता है जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं। जिन लोगों की दृष्टि चंचल होती है, चारों ओर चपलता पूर्वक नजर दौड़ाते हैं वे अक्सर लोभी, चोर, भिक्षुक या कपटी पाये जाते हैं।

आँख मिलते ही झेंप जाने वालों के मन में कुछ और तथा मुँह पर कुछ और होता है। जिसकी आँखें नीली रहती हैं वह अपराधी मनोवृत्ति का डरपोक या कमजोर होता है। ढीठतापूर्वक आँखों से आँखे लड़ाने वालों में उजड्डता, बेवकूफी, ऐंठ ज्यादा होगी। तिरछी नजर से देखने वाले निष्ठर, क्रूर, तोता-चश्म और झगड़ालू होते हैं।

आँखों के डले यदि कुछ आगे उभरे हुए हों तो इसे विद्या, प्रेम और ज्ञान सम्पादन का चिन्ह समझना चाहिए ऐसे लोगों की स्मरण शक्ति अच्छी होती है। साफ और खुलासा आँखों वाले व्यापार कुशल, व्यवहार पटु, परिश्रमी तथा बड़ी लगन वाले होते हैं।

अधिक बड़ी आँखें तेजस्विता, सत्ता, वैभव, ऐश्वर्य तथा भोगविलास से प्रसन्न व्यक्तियों की होती हैं। किन्तु पर स्त्री गमन से इस प्रकार के लोग बहुत ही कम बच पाते हैं। बड़ी आँखों के बीच का फासला ज्यादा हो तो सादगी, सिधाई एवं स्पष्टवादिता का लक्षण जानना चाहिए, छोटी आँखें खिलाड़ीपन, लापरवाही और सुस्ती प्रकट करती हैं। गड्ढे में धंसी आँखों वाले ऐसे दुर्गुणों से ग्रस्त होते हैं जिनके कारण जीवन में कोई कहने लायक उन्नति नहीं पाती। चिमचिमी आँखों वालें न तो दूसरों के ऊपर अहसान कर सकते हैं और किसी के अहसान के प्रति कृतज्ञ होते हैं।

पलक और पलकों के बाल-विरोनी से भी व्यक्तित्व का कुछ परिचय प्राप्त होता है। विरौनी के बाल कम हों तो उनसे डरपोकपन प्रकट होता है, घनी विरौनी वाले धनवान, गहरे रंग की कड़ापन लिए हुए विरौनी वाले। शूरवीर, कोमल तथा फीके रंग वाली विरौनी के आकर्षक स्वभाव के होते
हैं। मोटे पलकों वाले विद्वान, विचारवान तथा पतले पलकों बाले स्वस्थ एवं तेजस्वी देखे जाते हैं। तेजस्वी और साधु वृत्ति के लोगों के बड़े-बड़े पलक होते है बहुत छोटे पलकों से चटोरापन लालच, अतृप्तता तथा बेचैनी जानी जाती है।

जिसकी एक आँख एक तरह की और दूसरी दूसरे तरह की हो, ऐसा मालूम पड़ता हो कि एक आँख किसी दूसरे की निकाल पर फिट की गई है, ऐसे आदमी प्रायः अध-पगले, बेसमझ, औंधी खोपड़ी के होते हैं। दृष्टि की कमजोरी तथा तीक्ष्णता एक बात पर निर्भर है कि नेत्रों का कैसे उपयोग किया जाता है, फिर भी इतनी बात तो है ही कि नीली आँखें सबसे कमजोर और जरा लाल रंग मिली हुई काली आँखे सबसे बलवान होती हैं। आँखों में काले-काले तिल जैसे निशान होना आत्मबल की दृढ़ता का चिह्न है। यह तिल दो-चार और छोटे ही हों तो अच्छे हैं किन्तु यदि बड़े-बड़े बहुत से तिल हों तो वे ऐसी कमजोरियों के सूचक हैं जिनके कारण मनुष्य को दरिद्रता का दुख भोगना पड़ता है। जिनकी पुतलियाँ फिरती हैं ऐसे भेंड़े आदमी जिद्दी, बेसमझ किन्तु बहादुर होते हैं।

जिनकी आँखें अधिक गीली रहती हैं वे कातर, बेचैन तथा डरपोक पाये जाते हैं। जल्दी-जल्दी पलक मारने वाले लोग शेखीखोर, झूठे और बेपर की उड़ानें भरने वाले होते हैं। एक आँख को कुछ मिचका कर बात करने वाले दूसरों पर अविश्वास और सन्देह किया करते हैं।

नीली झलक जिनकी आँखों के सफेद भाग में दीखती हो तो यह भोलेपन गंभीरता और सदाचार का चिह्न है। पीलापन जिनकी आँखों में छाया रहता है वे उजड्ड, क्रोधी और झगड़ालू होते हैं। पीलेपन में यदि लालिमा मिली हुई हो तो वह चित्त की अशान्ति की सूचक है। लाल डोरे जिसकी आँखों में अधिक हों उसे उष्ण प्रकृति का समझना चाहिए, ऐसे लोगों को फोड़े फुन्सी या पित्त के रोग अक्सर होते रहते हैं।

बिल्कुल गोल छोटी-छोटी आँखें बुद्धि की न्यूनता प्रकट करती हैं। बहुत छोटी आँखों वाले आलसी और लापरवाह होते हैं। सोते वक्त जिनकी आँखें आधी खुली रहती हैं वे चिन्तातुर और लालची देखे जाते है। जो व्यक्ति बहुत देर में पलक मारते हैं वे सुस्त किन्तु विचारवान होते हैं। जो बात करते समय आँखें अधिक फाड़ते हैं उन्हें दृष्टि मांद्य या अन्य नेत्र रोगों का शिकार होना पड़ता है।

मटमैली आँखों से नेकी और सदाचार प्रकट होता है। सामने की ओर कुछ नीची दृष्टि करके चलने वालों का मन पवित्र होता है। पुण्यात्मा और धर्मवान् लोग कुछ ऊँची दृष्टि करके चलते हैं। क्रोधी मनुष्य तिरछे देखते हैं। नजर बचाकर चलने वाले चोर अपराधी या पतित स्वभाव के होते हैं। अंधे आदमियों की मानसिक शक्तियाँ अधिक विकसित होती हैं।

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    अनुक्रम

  1. चेहरा, आन्तरिक स्थिति का दर्पण है
  2. आकृति विज्ञान का यही आधार है
  3. बाल
  4. नेत्र
  5. भौंहें
  6. नाक
  7. दाँत
  8. होंठ
  9. गर्दन
  10. कान
  11. मस्तक
  12. गाल
  13. कंधे
  14. पीठ
  15. छाती
  16. पेट
  17. बाहें
  18. रहन-सहन

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