स्वास्थ्य-चिकित्सा >> जड़ी बूटियों से इलाज जड़ी बूटियों से इलाजराजीव शर्मा
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जड़ी बूटियों और औषधियों के लाभ तथा उनसे इलाज....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आजकल के लोग उन औषधियों, जड़ी-बूटियों को भूलते जा रहे हैं जो पीढ़ी दर
पीढ़ी नानी या दादी माँ के खजाने के रूप में घर-घर में रहा करती थीं। आज
चारों तरफ एलोपैथी का बोल-बाला है, लोग तुरंत लाभ के लिए डॉक्टरों के पास
दौड़ते हैं। लेकिन आधुनिक दवाओं के दुष्परिणाम की ओर कोई ध्यान नहीं देता।
ये दवाएँ वर्तमान रोग को तो ठीक कर देती है परंतु साथ ही नए रोगों को भी
उत्पन्न करती हैं।
ऐसी स्थिति में जड़ी-बूटी चिकित्सा, आयुर्वेदि और घरेलू चिकित्सा जैसे शहद, दूध-दही, पानी द्वारा इलाज काफी कामयाब हो सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘जड़ी-बूटियों से इलाज’ नामक यह पुस्तक जिज्ञासी पाठकों के लिए ज्ञान का अनमोल खजाना साबित होगी।
ऐसी स्थिति में जड़ी-बूटी चिकित्सा, आयुर्वेदि और घरेलू चिकित्सा जैसे शहद, दूध-दही, पानी द्वारा इलाज काफी कामयाब हो सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ‘जड़ी-बूटियों से इलाज’ नामक यह पुस्तक जिज्ञासी पाठकों के लिए ज्ञान का अनमोल खजाना साबित होगी।
संक्षिप्त परिचय
1. अनेक समाचारपत्र-पत्रिकाओं में
सम्पादकीय सलाहकार।
2. अब तक अठरह पुस्तकें प्रकाशित, कई प्रकाशकाधीन।
3. 500 से अधिक लेख प्रकाशित।
4. अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, दै. भास्कर, बरन पोस्ट व हैनीमैन प्रकाश में नियमित स्तम्भ लेखक।
5. सम्पादक-आरोग्य उद्घघोष (पाक्षिक)
6. सदस्य सम्पादक मंडल ‘एशियन होमियोपैथिक जर्नल’’ (विश्व के 20 से अधिक देशों में प्रसारित)।
7. कई औषधि निर्माता कम्पनियों में चिकित्सकीय सलाहकार।
8. मेडिकल ऑफिसर-भारतीय जीवन बीमा निगम।
9. आकाशवाणी से अनेक वार्ताएं प्रसारित।
10. अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सम्बद्ध, अनेक पुरस्कारों से विभूषित व कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नाम प्रस्तावित।
11. अध्यक्ष-उद्घोष उ.प्र. आरोग्य ज्योति संस्थान (रजि.)।
12. नशा उन्मूलन व एड्स जागृति हेतु राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय, शराब, धूम्रपान व तम्बाकू निषेध के लिए सतत् प्रयासरत।
13. होमियोपैथी, योग व प्राकृतिक चिकित्सा तथा वैकल्पिक चिकित्सा विशेषज्ञ।
14. पथरी, मिरगी, यौन रोग, नपुंसकता, बांझपन का विशेष उपचार।
15. लेखक की ‘‘होमियोपैथी द्वारा स्वयं चिकिसा, ‘‘तथा ‘होमियोपैथिक बाल रोग चिकित्सा’’ (दोनों पुस्तकें पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित) अवश्य पढ़े।
2. अब तक अठरह पुस्तकें प्रकाशित, कई प्रकाशकाधीन।
3. 500 से अधिक लेख प्रकाशित।
4. अमर उजाला, नवभारत टाइम्स, दै. भास्कर, बरन पोस्ट व हैनीमैन प्रकाश में नियमित स्तम्भ लेखक।
5. सम्पादक-आरोग्य उद्घघोष (पाक्षिक)
6. सदस्य सम्पादक मंडल ‘एशियन होमियोपैथिक जर्नल’’ (विश्व के 20 से अधिक देशों में प्रसारित)।
7. कई औषधि निर्माता कम्पनियों में चिकित्सकीय सलाहकार।
8. मेडिकल ऑफिसर-भारतीय जीवन बीमा निगम।
9. आकाशवाणी से अनेक वार्ताएं प्रसारित।
10. अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से सम्बद्ध, अनेक पुरस्कारों से विभूषित व कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नाम प्रस्तावित।
11. अध्यक्ष-उद्घोष उ.प्र. आरोग्य ज्योति संस्थान (रजि.)।
12. नशा उन्मूलन व एड्स जागृति हेतु राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय, शराब, धूम्रपान व तम्बाकू निषेध के लिए सतत् प्रयासरत।
13. होमियोपैथी, योग व प्राकृतिक चिकित्सा तथा वैकल्पिक चिकित्सा विशेषज्ञ।
14. पथरी, मिरगी, यौन रोग, नपुंसकता, बांझपन का विशेष उपचार।
15. लेखक की ‘‘होमियोपैथी द्वारा स्वयं चिकिसा, ‘‘तथा ‘होमियोपैथिक बाल रोग चिकित्सा’’ (दोनों पुस्तकें पुस्तक महल, दरियागंज, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित) अवश्य पढ़े।
आँखों के रोग
गुहेरी होने पर
1. छुआरे की गुठली को घिसकर फुंसी पर लगाएं।
2. इमली के बीज की गिरी को साफ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से लाभ मिलता है। यह नुस्खा तभी आजमाएं जब फुंसी बाहर की तरफ हो ।
3. दो लौंग पानी में घिसकर गुहेरी पर लगाएं।
2. इमली के बीज की गिरी को साफ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से लाभ मिलता है। यह नुस्खा तभी आजमाएं जब फुंसी बाहर की तरफ हो ।
3. दो लौंग पानी में घिसकर गुहेरी पर लगाएं।
नज़र की कमज़ोरी
1. पचास ग्राम काला सुरमा, प्याज़ के पाँच सौ ग्राम रस में खरल करके,
छानकर शीशी में भर लें। इस सुरमे की एक-एक सलाई, सुबह-शाम आँख में लगाएं।
यह नज़र की कमज़ोरी के अलावा धुंध, जाला, रोहे आदि में भी कारगर है।
आँखों की गुहेरी, रतौंधी व मोतियाबिंद
1. आँख की फुंसी (गुहेरी) के उपचार के लिए
आम के पेड़ से पत्ता तोड़ने पर जो रस निकलता है, सावधानीपूर्वक उसे गुहेरी
पर लगा लें। दो-तीन दिन उस गुहेरी वाली जगह पर कालापन रहेगा, पर बाद में
ठीक हो जाएगा।
2. रतौंधी (रात में न दिखाई पड़ना) में नीम की दस ताजा पत्तियां, बीस ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह खाली पेट और रात में सोते समय खाएं। पन्द्रह दिन सेवन करने से लाभ मिलता है।
3. काली मिर्च को दही में पीसकर आँखों में लगाएं। रतौंधी में उपयोगी है।
4. मोतियाबिंद होने पर सफेद फिटकरी लगभग पैंतीस ग्राम, नीला थोथा आधा ग्राम और छोटी इलायची लगभग साढ़े पांच ग्राम-तीनों को खूब बारीक पीसकर कपड़छन कर लें और फिर एक 750 मिली. वाली बोतल में डालकर, बोतल को गंगा जल से भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। दस दिन तक बोतल को दिन में तीन-चार बार हिलाते रहें। ग्यारहें दिन से दवा का इस्तेमाल शुरु करें। रोज़ाना सोते समय 2-3 बूंद दवा आंख में डालें। उपयोगी नुस्खा है।
2. रतौंधी (रात में न दिखाई पड़ना) में नीम की दस ताजा पत्तियां, बीस ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह खाली पेट और रात में सोते समय खाएं। पन्द्रह दिन सेवन करने से लाभ मिलता है।
3. काली मिर्च को दही में पीसकर आँखों में लगाएं। रतौंधी में उपयोगी है।
4. मोतियाबिंद होने पर सफेद फिटकरी लगभग पैंतीस ग्राम, नीला थोथा आधा ग्राम और छोटी इलायची लगभग साढ़े पांच ग्राम-तीनों को खूब बारीक पीसकर कपड़छन कर लें और फिर एक 750 मिली. वाली बोतल में डालकर, बोतल को गंगा जल से भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। दस दिन तक बोतल को दिन में तीन-चार बार हिलाते रहें। ग्यारहें दिन से दवा का इस्तेमाल शुरु करें। रोज़ाना सोते समय 2-3 बूंद दवा आंख में डालें। उपयोगी नुस्खा है।
आँख आने पर
1. अमरुद के पत्तों का रस दोनों आँखों में
डालें व बर्फ से आँखों की सिंकाई करें।
आँखों की रोशनी कम होना
1. पाव भर दूध में थोड़ा शुद्ध घी मिलाकर
अछवा गाय के ताज़े घी में मिश्री मिलाकर सेवन करने से आँखों की रोशनी
बढ़ती है।
2. काली मिर्च एक ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और हरड़ दो ग्राम, गुलाबजल में मिलाकर आंखों पर लगाएं।
3. जायफल को पानी में घिसकर आँखों की पलकों के ऊपर कुछ देर तक, दिन में एक बार लगाने से फायदा होता है।
4. असगंध का चूर्ण और मुलैठी का चूर्ण बराबर-बराबर (चार-चार ग्राम) और आंवले का रस आठ ग्राम तीनों को मिलाकर रोजाना एक बार सेवन करने से 6-7 माह मे आँखों की रोशनी बढ़ जाती है।
5. रोज़ सवेरे आँखों में शुद्ध शहद को काजल की तरह लगाने से फायदा होता है।
2. काली मिर्च एक ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और हरड़ दो ग्राम, गुलाबजल में मिलाकर आंखों पर लगाएं।
3. जायफल को पानी में घिसकर आँखों की पलकों के ऊपर कुछ देर तक, दिन में एक बार लगाने से फायदा होता है।
4. असगंध का चूर्ण और मुलैठी का चूर्ण बराबर-बराबर (चार-चार ग्राम) और आंवले का रस आठ ग्राम तीनों को मिलाकर रोजाना एक बार सेवन करने से 6-7 माह मे आँखों की रोशनी बढ़ जाती है।
5. रोज़ सवेरे आँखों में शुद्ध शहद को काजल की तरह लगाने से फायदा होता है।
आँखें दुखना
1. गरम पानी में जस्ते का फूला डालकर
सेंकने से दर्द बंद होता है।
2. गेंदे के पत्ते पीसकर उसकी टिकिया आँखों पर बांधें।
3. रुई के फाहों पर दूध की मलाई रखकर बांधें।
4. हल्दी के पानी में कपड़ा भिगोकर आँखों पर रखें।
5. गुलाबजल में थोड़ा फिटकरी का फूला डालकर उसे कई बार आँखें में बूंद-बूंद टपकाएं।
6. हल्दी, आँमा हल्की, रसौत, फिटकरी लोध्र इन्द्र जौ, अफीम, ग्वारपाठे का गूदा-इन्हें पीसकर पलकों पर व आँखों के पास-पास लेप करें।
7. हरड़-बहेड़ा आंवला और पोस्ते को डोडे में घोलकर छान लें और गर्म पानी में उबाली गई शीशी में रखें। दुखती हुई आंखों में दिन में चार बार दो दो बूंद दवा डालने से लाभ होता है।
8. अनार के पत्ते या कीकर के मुलायम पत्ते पानी में पीसकर टिकिया बनाकर रात को आंख पर रखकर बांधें। इससे आंखों की दुखन व जलन में लाभ मिलता है।
9. पचास ग्राम गुलाब जल में एक मध्यम आकार की हल्दी की गांठ कूटकर डालें। दूसरे दिन छानकर शीशी में रख लें। आँख में लाली बहुत हो, कड़कड़ाहट महसूस हो तो दो-दो बंदू, दिन में तीन-चार बार डालें। आंख के रोगी को भुने चने नहीं खाने चाहिए।
2. गेंदे के पत्ते पीसकर उसकी टिकिया आँखों पर बांधें।
3. रुई के फाहों पर दूध की मलाई रखकर बांधें।
4. हल्दी के पानी में कपड़ा भिगोकर आँखों पर रखें।
5. गुलाबजल में थोड़ा फिटकरी का फूला डालकर उसे कई बार आँखें में बूंद-बूंद टपकाएं।
6. हल्दी, आँमा हल्की, रसौत, फिटकरी लोध्र इन्द्र जौ, अफीम, ग्वारपाठे का गूदा-इन्हें पीसकर पलकों पर व आँखों के पास-पास लेप करें।
7. हरड़-बहेड़ा आंवला और पोस्ते को डोडे में घोलकर छान लें और गर्म पानी में उबाली गई शीशी में रखें। दुखती हुई आंखों में दिन में चार बार दो दो बूंद दवा डालने से लाभ होता है।
8. अनार के पत्ते या कीकर के मुलायम पत्ते पानी में पीसकर टिकिया बनाकर रात को आंख पर रखकर बांधें। इससे आंखों की दुखन व जलन में लाभ मिलता है।
9. पचास ग्राम गुलाब जल में एक मध्यम आकार की हल्दी की गांठ कूटकर डालें। दूसरे दिन छानकर शीशी में रख लें। आँख में लाली बहुत हो, कड़कड़ाहट महसूस हो तो दो-दो बंदू, दिन में तीन-चार बार डालें। आंख के रोगी को भुने चने नहीं खाने चाहिए।
आँखों की सूजन
1. इमली के फूलों की पुल्टिश आँखों पर
बांधने से आँखों की सूजन दूर होती है।
2. सुपारी (पान वाली) को पानी में सिल पर घिसकर लगाने से आँखों की सूजन दूर होती है। इसका लेप आँखों के ऊपर करना चाहिए।
3. अडूसा के ताज़े फूलों को गरम करके आँखों पर बांधने से आँखों की सूजन दूर होती है।
2. सुपारी (पान वाली) को पानी में सिल पर घिसकर लगाने से आँखों की सूजन दूर होती है। इसका लेप आँखों के ऊपर करना चाहिए।
3. अडूसा के ताज़े फूलों को गरम करके आँखों पर बांधने से आँखों की सूजन दूर होती है।
ढलका
इसमें बिना किसी कष्ट के आँखों से पानी बहता रहता है।
1. फिटकरी दो रत्ती, एक तोला गुलाब के अर्क में घोलकर आँखों में टपकाएं और इसी में रुई का फाहा भिगोकर आंख पर रखें।
2. पीली हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका, आवंला गुठली निकला हुआ-ये तीनों वस्तुएं पांच-पांच तोला लेकर कूट-छानकर, दुगुने शहद में मिलाएं और बराबर मात्रा का घी मिलाकर प्रतिदिन एक तोला खाएं। आंखों से पानी आना रुक जाता है।
1. फिटकरी दो रत्ती, एक तोला गुलाब के अर्क में घोलकर आँखों में टपकाएं और इसी में रुई का फाहा भिगोकर आंख पर रखें।
2. पीली हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका, आवंला गुठली निकला हुआ-ये तीनों वस्तुएं पांच-पांच तोला लेकर कूट-छानकर, दुगुने शहद में मिलाएं और बराबर मात्रा का घी मिलाकर प्रतिदिन एक तोला खाएं। आंखों से पानी आना रुक जाता है।
रोहे
1. इन्हें कुकरे भी कहते हैं। इस रोग में
आंख की पलक के अंदर बारीक-बारीक दाने निकल आते हैं जो चुभते हैं। इनकी वजह
से आंखें लाल रहती हैं और आंखों से पानी बहता रहता है। आंखों में खुजली
बनी रहती है।
उपचार
1. रोहों के इलाज़ के लिए रसौत दस ग्राम,
फिटकरी तीन ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और गुलाब-जल अर्क दस ग्राम-इन सभी
वस्तुओं को रात में सोते समय किसी कांच के बर्तन में भिगो दें। प्रातःकाल
इन्हें खूब मसलकर मोटे कपड़े से छान लीजिए। दिन में पांच-छः बार ड्रापर से
दो-दो बूंद दोनों आंखों में डालने से रोहे और ढलके ठीक हो जाते हैं।
2. माजू को बारीक खरल करके रखें और पलकों को उलटकर चुटकी से इसे रोहों पर छिड़कें अथवा सलाई से रोहों पर लगाएं।
3. सुहागा व फिटकरी छः-छः माशा, शोरा कलमी तीन माशा को बारीक पीसकर रोगों पर छिड़कें। थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धोएं।
2. माजू को बारीक खरल करके रखें और पलकों को उलटकर चुटकी से इसे रोहों पर छिड़कें अथवा सलाई से रोहों पर लगाएं।
3. सुहागा व फिटकरी छः-छः माशा, शोरा कलमी तीन माशा को बारीक पीसकर रोगों पर छिड़कें। थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धोएं।
कान के रोग
कान का बहना
1. फूले हुए सुहागे को पॉउडर करके, कपड़े
में छानकर रख लें। इस पॉउडर को दिन में एक बार रोज़ाना, चार दिन तक
छिड़कें।
2. बच्चों का कान बहता हो तो एक-दो बूंद चूने का पानी ड्रापर से डालें।
2. बच्चों का कान बहता हो तो एक-दो बूंद चूने का पानी ड्रापर से डालें।
कान का दर्द
1. आम के पत्तों का रस गुनगुना करके कान
में डालने से फायदा होता है।
2. गाय के शुद्ध देसी घी में अजवायन डालकर अच्छी तरह पका लें। छानकर, गुनगुना एक दो बूंद कान में टपकाएं।
3. बच्चों में कान दर्द महसूस हो तो मां के दूध में समान मात्रा में कद्दू का रस मिलाकर दो बूंद कान में टपकाएं।
4. गेंदे के पत्तों का ताजा रस की कुछ बूंदें कान में डालने पर तुरंत राहत महसूस होती है।
5. अदरक के रस में शहद तथा नमक (थोड़ा-सा) डालकर अच्छी तरह मिला लें। उसे गुनगुना करके कानों में टपकाएं।
6. चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंद दोनों कानों में, तीन-तीन घंटे के अंतर से डालने से कान का दर्द दूर होता है।
7. तुलसी के पत्तों का रस या गेंदे के फूलों का रस कान में टपकाने से (दो बूंद) दर्द ठीक होता है।
8. पीली सरसों के तेल में लहसुन गरम करके गुनगुने तेल की दो-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
2. गाय के शुद्ध देसी घी में अजवायन डालकर अच्छी तरह पका लें। छानकर, गुनगुना एक दो बूंद कान में टपकाएं।
3. बच्चों में कान दर्द महसूस हो तो मां के दूध में समान मात्रा में कद्दू का रस मिलाकर दो बूंद कान में टपकाएं।
4. गेंदे के पत्तों का ताजा रस की कुछ बूंदें कान में डालने पर तुरंत राहत महसूस होती है।
5. अदरक के रस में शहद तथा नमक (थोड़ा-सा) डालकर अच्छी तरह मिला लें। उसे गुनगुना करके कानों में टपकाएं।
6. चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंद दोनों कानों में, तीन-तीन घंटे के अंतर से डालने से कान का दर्द दूर होता है।
7. तुलसी के पत्तों का रस या गेंदे के फूलों का रस कान में टपकाने से (दो बूंद) दर्द ठीक होता है।
8. पीली सरसों के तेल में लहसुन गरम करके गुनगुने तेल की दो-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
बहरापन
1. लगभग छियालीस ग्राम कड़वे बादाम के तेल
में लहसुन की बारह मध्यम आकार वाली कलियां डालकर तब तक पकाएं, जब तक
कलियां जल न जाएं। इसके बाद लहसुन की कलियां निकालकर फेंक दें और तेल को
छानकर रख लें। इस तेल को गुनगुना करके दो बूंद की मात्रा में रोज़ाना कान
में डालें। इससे बहरेपन में लाभ होता है।
2. कान के दर्द में पुदीना का रस डालने से लाभ मिलता है।
3. केले के पत्तों के रस में समुद्रफेन मिलाकर डालने से आराम मिलता है।
2. कान के दर्द में पुदीना का रस डालने से लाभ मिलता है।
3. केले के पत्तों के रस में समुद्रफेन मिलाकर डालने से आराम मिलता है।
कान का बहना
1. प्याज़ का रस थोड़ा-सा गर्म करके एक या
दो बूंद कान में डालें। इससे कान का बहना, बहरापन व दर्द आदि रोग दूर होते
हैं।
2. सरसों का तेल दस तोला लेकर उसमें रतनजोत एक तोला डालकर पकाएं। जब जलने लगे, तो इस तेल को साफ शीशी में भरकर रख लें। कान बहे या दर्द करे, सभी परिस्थितियों में यह प्रयोग लाभ पहुंचाता है।
3. फिटकरी 20 माशा, हल्दी एक माशा पीसकर रख लें। आवश्यकता पड़ने पर कान को रुई से साफ करके दो रत्ती दवा डालें। लाभ मिलता है।
2. सरसों का तेल दस तोला लेकर उसमें रतनजोत एक तोला डालकर पकाएं। जब जलने लगे, तो इस तेल को साफ शीशी में भरकर रख लें। कान बहे या दर्द करे, सभी परिस्थितियों में यह प्रयोग लाभ पहुंचाता है।
3. फिटकरी 20 माशा, हल्दी एक माशा पीसकर रख लें। आवश्यकता पड़ने पर कान को रुई से साफ करके दो रत्ती दवा डालें। लाभ मिलता है।
कान का बहरापन
1. यदि कोई व्यक्ति/महिला जन्मजात बहरा हो तो वह मात्र दवाओं से ठीक नहीं
होता। किन्तु ऊंचा सुनने वालों के लिए ये नुस्खे लाभदायक हो सकेत हैं-
2. प्याज़ का रस, हलका गरम डालने से लाभ मिलता है।
3. कड़वे बादाम का तेल कान में टपकाने से बहरापन ठीक हो जाता है।
2. प्याज़ का रस, हलका गरम डालने से लाभ मिलता है।
3. कड़वे बादाम का तेल कान में टपकाने से बहरापन ठीक हो जाता है।
नाक की बीमारियां
नज़ला (पुराना जुकाम)
1. भुने चने का छिलका उतरा हुआ आटा 20
ग्राम मलाई/रबड़ी 20 ग्राम थोड़े शहद में मिलाकर, 4 बूंद अमृतधारा असली
मिलाकर कुछ दिन रात में खाने से पुराने-से-पुराने नज़ले में लाभ पहुंचाता
है।
नाक से दुर्गंध
1. कद्दू का रस नाक में टपकाने से लाभ
मिलता है। कद्दू का रस सुबह-शाम, पीस-छानकर नाक में टपकाएं। हाजमा ठीक
रखें।
नकसीर
नाक से खून आने को नकसीर कहते हैं।
1. माजूफल को बारीक पीसकर नाक में सुंघाने से नकसीर बंद हो जाती है।
2. सूखा आंवला 25 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह छानकर पानी पीएं तथा आंवलें को पीसकर तालू और माथे पर लेप करें।
3. 10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी कूट लें और एक प्याला पानी में भिगो दें। सुबह ऊपर का पानी पीने को दें तथा नीचे बैठी मिट्टी का माथे पर लेप करें।
4. यदि गर्मी के कारण नाक से खून आए तो चार आंवलें उबालकर शुद्ध घी में भूनने के बाद सिर पर लेप करने से लाभ मिलता है।
5. मेंहदी की ताजी पत्तियां पानी में पीसकर तलवों में लगाने से नकसीर बंद हो जाती है।
6. छोटी कटेरी के ताज़े पत्तों को कुचलकर उनका रस निकाल लें। इस रस को दो-दो बूंद नाक में टपकाने से लाभ होता है।
7. हरी दूब का ताज़ा रस या प्याज़ का रस निकालकर सूंघें।
8. अनार के फूल और हरी दूब समान मात्रा में पीस लें और दिन में दो बार दो-दो चम्मच लें।
1. माजूफल को बारीक पीसकर नाक में सुंघाने से नकसीर बंद हो जाती है।
2. सूखा आंवला 25 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह छानकर पानी पीएं तथा आंवलें को पीसकर तालू और माथे पर लेप करें।
3. 10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी कूट लें और एक प्याला पानी में भिगो दें। सुबह ऊपर का पानी पीने को दें तथा नीचे बैठी मिट्टी का माथे पर लेप करें।
4. यदि गर्मी के कारण नाक से खून आए तो चार आंवलें उबालकर शुद्ध घी में भूनने के बाद सिर पर लेप करने से लाभ मिलता है।
5. मेंहदी की ताजी पत्तियां पानी में पीसकर तलवों में लगाने से नकसीर बंद हो जाती है।
6. छोटी कटेरी के ताज़े पत्तों को कुचलकर उनका रस निकाल लें। इस रस को दो-दो बूंद नाक में टपकाने से लाभ होता है।
7. हरी दूब का ताज़ा रस या प्याज़ का रस निकालकर सूंघें।
8. अनार के फूल और हरी दूब समान मात्रा में पीस लें और दिन में दो बार दो-दो चम्मच लें।
जुकाम होना
1. पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम
तुलसी का रस मिलाकर दस ग्राम शहद से लें।
2. एक गिलास गर्म दूध में पांच काली मिर्च पकाएं और सुबह-शाम सेवन करें।
3. सुहागे को तवे पर फुलाकर महीने पीस लें। आधा ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार गरम पानी के साथ लें। तीन दिनों में फायदा हो जाएगा।
4. अडूसा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-जुकाम मिटता है।
5. अमरूद के पत्ते चाय की तरह उबाल लें और पानी पीएं।
6. बार-बार नकसीर फूटे तो आंवले का रस बीस-बीस ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें।
2. एक गिलास गर्म दूध में पांच काली मिर्च पकाएं और सुबह-शाम सेवन करें।
3. सुहागे को तवे पर फुलाकर महीने पीस लें। आधा ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार गरम पानी के साथ लें। तीन दिनों में फायदा हो जाएगा।
4. अडूसा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-जुकाम मिटता है।
5. अमरूद के पत्ते चाय की तरह उबाल लें और पानी पीएं।
6. बार-बार नकसीर फूटे तो आंवले का रस बीस-बीस ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें।
मुंह के रोग
1. मुंह में छाले होने पर दो चम्मच हल्दी
चूर्ण दो गिलास पानी में खूब उबालें। इसके बाद ठंडा करके उस पानी से गरारे
करें। मुंह के छालों में उपयोगी है।
2. चमेली के पत्ते चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
3. मुंह के छाले होने पर मुलेठी चूसें।
4. मुंह के छालों में पेट साफ रखना भी जरूरी है। इसके लिए रात को सोते समय एक कप मीठे गर्म दूध में आधा चम्मच देसी घी डालकर पीएं।
5. कत्थे के साथ अमरूद की पत्तियां चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
6. एक ग्राम कत्थे को एक छोटी चम्मच शहद में मिलाकर रख लें। छालों पर उंगली से दिन में तीन बार लगाएं। साथ ही आधा चम्मच गुलकंद दिन में दो बार, दूध में मिलाकर पीएं।
2. चमेली के पत्ते चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
3. मुंह के छाले होने पर मुलेठी चूसें।
4. मुंह के छालों में पेट साफ रखना भी जरूरी है। इसके लिए रात को सोते समय एक कप मीठे गर्म दूध में आधा चम्मच देसी घी डालकर पीएं।
5. कत्थे के साथ अमरूद की पत्तियां चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
6. एक ग्राम कत्थे को एक छोटी चम्मच शहद में मिलाकर रख लें। छालों पर उंगली से दिन में तीन बार लगाएं। साथ ही आधा चम्मच गुलकंद दिन में दो बार, दूध में मिलाकर पीएं।
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