ऐतिहासिक >> प्रेम तपस्वी प्रेम तपस्वीअम्बिका प्रसाद दिव्य
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बुन्देली के महान लोककवि ईसुरी के जीवन पर केन्द्रित उपन्यास।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के अत्यन्त प्रतिभाशाली लोककवि ईसुरी आदि समूचे देश में विख्यात है। कविवर ईसुरी में काव्य सृजन की अनूठी प्रतिभा दी। उन्होंने अपने जीवन में तिरस्कार और अपमान का कड़ुवा घूँट पिया, तो राजकीय सम्मान का सुख भी भोगा। ईसुरी जैसा विचित्र जीवन शायद ही किसी अन्य कवि का रहा हो। सम्भवतः ईसुरी के रोमांचक जीवन चरित्र ने ही वरिष्ठ उपन्यासकार श्री अम्बिका प्रसाद दिव्य को इतना प्रभावित और प्रेरित किया कि उन्होंने ईसुरी के जीवन पर एक अत्यन्त रोचक आंचलिक उपन्यास का सृजन कर डाला। प्रस्तुत उपन्यास में बुन्देलखण्ड की आत्मा और अस्मिता का सूक्ष्म एवं यथार्थ चित्रण देखने को मिलता है। बुन्देलखण्ड की लोकभाषा, लोकसंस्कार, लोकपरम्पराओं और लोकचेतना का सार्थक और सटीक चित्रण दिव्य जी के विशेषता रही है। ऐतिहासिक घटनाक्रम को बड़ी खूबसूरती के साथ एक सूत्र में पिरोने में दिव्य जी सिद्धहस्त रहे हैं। प्रस्तुत उपन्यास में कहीं कहीं कल्पना का सहारा लिया गया है परन्तु इसकी ऐतिहासिकता और घटनाक्रम को कहीं भी तोड़ा मरोड़ा नहीं गया है। निश्चय ही यह उपन्यास जितना मार्मिक है उतना ही रोचक भी है।
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