धर्म एवं दर्शन >> अमृतवाणी अमृतवाणीगिरिराजशरण अग्रवाल
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विश्वप्रसिद्ध व्यक्तियों की अमृत सूक्तियों का संग्रह...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सूक्तियाँ अर्थात् गागर में सागर और चमेली में व्याप्त सुंगध महान्
उक्तियाँ अर्थात् एक वाक्य में जीवन के अनुभवों का सारांश। उपदेश देने की
निराली छटा से युक्त भावों को सजाने-सँवारने और जीवंत बनाने की कला में
सक्षम ज्ञानियों के ज्ञान और युगों के अनुभवों को सँजोए हुए अनुपम
उक्तियों का अनुपम संग्रह आपके लिए।
अ
अंधकार
अंधकार प्रकाश की ओर चलता है और अंधापन
मृत्यु की ओर।
-रवींद्रनाथ ठाकुर
अज्ञान
अज्ञान के अतिरिक्त आत्मा के और किसी रोग का
मुझे पता नहीं।
-बेन जॉनसन
अज्ञान प्रभु का शाप है, ज्ञान वह पंख है,
जिससे हम स्वर्ग को उड़ते हैं।
-शेक्सपीयर
अज्ञान मन की रात है, लेकिन ऐसी रात जिसमें न
चाँद है, न तारे।
-कन्फ़्यूशस
अज्ञानी रहने से जन्म न लेना अच्छा है,
क्योंकि अज्ञान सब दुखों की जड़ है।
-प्लेटो
अपनी विद्वता पर गर्व करना बड़ा अज्ञान है।
-श्रीमद्भागवत
अज्ञान अँधेरे की भाँति है, जंजीरों की भाँति
नहीं।
-ओशो
जहाँ अज्ञान है; वहीं अहंकार हो सकता है और
जहाँ अहंकार है, वहीं अज्ञान
हो सकता है। अज्ञान ही पाप है। शेष सारे पाप तो उसकी छाया ही हैं।
-ओशो
मुझे यह मानने में कोई भी शर्म नहीं कि मुझे
जो नहीं आता, उसके संबंध मैं
अज्ञानी हूँ।
-सिसरो
अज्ञान ही मोह और स्वार्थ की जननी है, अतः
अज्ञानी ही दुष्ट या कायर होते
हैं।
-महात्मा गांधी
अज्ञान की सबसे बड़ी संपत्ति है मौन। और जब
इस रहस्य का ज्ञान हो जाता है,
तब वहाँ अज्ञान नहीं रह जाता।
-शेख़ सादी
अतिथि
जाने वाले अतिथि का स्वागत करो, जाने वाले
अतिथि को जल्दी जाने दो।
-पोप
जब यह शरी नश्वर है और आत्मा अमर है, तो फिर
भय किसका और किसलिए ?
-महात्मा गांधी
सच्ची मित्रता का नियम यह है कि जाने वाले
अतिथि को शीघ्र विदा करो और आने
वाले का स्वागत करो।
-होमन
आवत ही हरषे नहीं, नयनन नहीं सनेह,
तुलसी वहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेंह।
तुलसी वहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेंह।
(यदि अतिथि के आते ही आतिथेय प्रसन्न न हो और उसकी आँखों से ही प्रेम न
छलके तो व्यक्ति को वहाँ नहीं जाना चाहिए, भले ही वहाँ पर सोने की ही
वर्षा क्यों न होती हो।)
-गोस्वामी तुलसीदास
रहिमन तब लगि ठहरिए, दान-मान-सम्मान,
मान घटत देखिय जबहिं, तुरतहि करिय पयान।
मान घटत देखिय जबहिं, तुरतहि करिय पयान।
(अतिथि को किसी के यहाँ उसी समय तब ठहरना चाहिए, जब तक आदर-सत्कार हो।
परंतु जब देखे कि अब आदर-सत्कार में कमी हो रही है, तो उसे तुरंत वहाँ से
चल देना चाहिए)
-रहीम
अतिथि-सत्कार
जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न
हो, अकेले नहीं पीना चाहिए।
-तिरुवल्लुवर
अतिथि का आदर-सत्कार करने में जो कभी नहीं चूकता, उस पर कभी कोई आपत्ति
नहीं आती।
-बाइबिल
यदि कुछ न हो तो प्रेमपूर्वक मिलकर ही अतिथि का स्वागत करना चाहिए।
-हितोपदेश
अतिथि सत्कार से इंकार करना ही सबसे बड़ी दरिद्रता है।
-इमर्सन
यदि घरों में अतिथि-सत्कार न हो तो श्मशान-स्थल मात्र रह जाएँगे।
-खलील जिब्रान
अत्याचार
अत्याचार करने वाला दोषी नहीं है, जितना उसे सहन करने वाला।
-बाल गंगाधर तिलक
अत्याचार करने वाले भूल जाते हैं, किंतु जिन पर अत्याचार होता है, वे
आसानी से नहीं भूल सकते। हाथ से लाठी गिर जाने पर भी वे मन-ही-मन द्वेष
करते हैं।
-रवींद्रनाथ ठाकुर
अत्याचार और भय परस्पर हाथ मिलाते हैं।
-बाल्जक
अत्याचारी
अत्याचारी से बढ़कर अभागा व्यक्ति दूसरा नहीं, क्योंकि विपत्ति के समय कोई
उसका मित्र नहीं होता।
-शेख़ सादी
अत्याचारी के प्रति विद्रोह करना ईश्वरीय आदेश का पालन करना है।
-फ्रैंकलिन
वह शासक अत्याचारी है, जो स्वेच्छा के अतिरिक्त कोई नियम नहीं जानता।
-वाल्टेयर
जब प्रजा सिद्धांत के लिए विद्रोह करती है, तब राजा अपनी नीति से
अत्याचारी हो जाता है।
-बर्क
अधिकार
संसार में सबसे बड़ा अधिकार सेवा और त्याग से प्राप्त होता है।
-प्रेमचंद्र
अधिकारों का सच्चा स्त्रोत कर्त्तव्य है। अगर हम सब अपने कर्त्तव्य पूरे
करें तो अधिकारों को ढूँढ़ने कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा।
-जोजेफ एडीसन
अध्ययन हमें आनंद प्रदान करता है, अलंकृत करता है और योग्यता प्रदान करता
है।
-महात्मा गांधी
बहुत अधिकार मिल जाने पर मनुष्य का विचार दूषित हो जाता है।
-विलियम पिट चैथम
अधिकार-सुख कितना मादक और सारहीन है।
-जयशंकर प्रसाद
अधिकार हज़म करने के लिए जब तक पूरी कीमत न चुकाई जाए, तब तक यदि अधिकार
मिल भी जाए तो उसे गँवा बैठेंगे।
-सरदार पटेल
अधिकार विनाशकारी प्लेग के समान है। जिसे भी छूता है नष्ट कर देता है
-शेली
हमारे पूर्वजों ने अधिकारों के लिए संघर्ष किया, आज की पीढ़ी को कर्त्तव्य
के लिए संघर्ष करना है।
-सैमुअल स्माइल्स
अध्ययन
अशिक्षित रहने से पैदा न होना अच्छा है; क्योंकि अज्ञान सब बुराइयों का
मूल है।
-नेपोलियन बोनापार्ट
प्रकृति की अपेक्षा अध्ययन के द्वारा अधिक मनुष्य महान बने हैं।
-सिसरो
मन के लिए अध्ययन की उतनी ही आवश्यकता है, जितनी देह को व्यायाम की।-जोजेफ एडीसन
-फ्रांसिस बेकन
अध्ययन से सस्ता कोई मनोरंजन नहीं और न उसकी खुशी जैसी कोई खुशी स्थायी
होती है।
-मौंटेग्यू
आज अध्ययन करना सब जानते हैं, पर क्या अध्ययन करना चाहिए, यह कोई नहीं
जानता।
-जार्ज बर्नार्ड शा
मानव का सच्चा जीवनसाथी विद्या ही है, जिसके कारण यह विद्वान् कहलाता है।
-स्वामी दयानंद सरस्वती
अध्यवसाय
महान् कार्य शक्ति से नहीं अपितु अध्यवसाय से किए जाते हैं।
-जॉनसन
अनासक्ति
सहस्त्र वर्ष तक बिना मन लगाए नमाज पढ़ने और रोजा रखने की अपेक्षा एक क्षण
के बराबर विश्व के प्रति सच्ची अनासक्ति बढ़ाना उत्तम है।
-हुसैन बसराई
मनुष्य अनासक्त अर्थात् बेलाग और निःस्वार्थ कार्य करते हुए ही प्रभु को
पा सकता है। इसी में सबका भला है।
-श्रीमद्भगवद्गीता
अनुकरण
जहाँ अनुकरण है, वहाँ खाली दिखावट होगी, जहाँ खाली दिखावट है वहाँ कोरी
मूर्खता होगी।
-जानसन
स्वयं पर आग्रह करो; अनुकरण मत करो।
-इमर्सन
दूसरों की नकल न कीजिए, अपने को पहचानिए और जो आप हैं, वही बने रहिए।
-डेल कार्नेगी
अनुभव
अनुभव अमूल्य कसौटी है।
-रवींद्रनाथ ठाकुर
अनुभव बताता है कि आपात्काल में दृढ़ निश्चय ही पूरी सहायता करता है।
-शेक्सपियर
कष्ट सहने पर ही हमें अनुभव होता है और दर्द हो तभी मैं सीख पाता हूँ।
-महात्मा गांधी
मेरे पास एक दीपक है, जो मुझे राह दिखाता है और वह है मेरा अनुभव।
-पैट्रिक हेनरी
दूसरों के अनुभव से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान् है।
-जवाहरलाल नेहरु
अनुभव सिर्फ़ ज्ञान नहीं देता, अनुभव वासनाओं से भी मुक्ति दिला देता है।
-ओशो
अगर हम सही अनुभव नहीं करते तो यह निश्चित है कि ग़लत निर्णय लेंगे।
-हैज़लिर्ट
जो अनुभव के स्त्रोत का जल पीने की उपेक्षा करता है, वह संभवतः अज्ञान
रूपी मरुथल में प्यासा ही मर जाएगा।
-लिङ्पो
दूध का जला छाछ को फूँक-फूँककर पीता है।
-हिंदी कहावत
अनुशासन
आत्मसंयम, अनुशासन और बलिदान के बिना राहत या मुक्ति की आशा नहीं की जा
सकती। अनुशासनहीन बलिदान से काम नहीं चलेगा।
-महात्मा गांधी
संपूर्ण प्रकृति में कठोर अनुशासन व्याप्त है। प्रकृति थोड़ी-सी क्रूर है
ताकि वह बहुत दयालु हो सके।
-एडमंड स्पेंसर
अनुशासन का पालन तभी संभव है, जब मनुष्य को उस काम में अनुराग हो, जिसमें
वह लगा है। उसके बिना तो अनुशासन अनुकरण-मात्र होगा।
-महात्मा गांधी
अन्याय
अन्याय सह लेने वाला भी अपराधी है। यदि वह न सहा जाए तो फिर कोई किसी से
अन्यायपूर्ण व्यवहार कर ही नहीं सकेगा।
-रवींद्रनाथ ठाकुर
अन्याय को सहने की अपेक्षा अन्याय करना अधिक अच्छा है, कोई भी इस सिद्धांत
को स्वीकार नहीं करेगा।
-अरस्तू
अन्याय सहकर बैठ जाना, यह महा दुष्कर्म है,
न्यायार्थ अपने बंधु को भी दंड देना धर्म है।
-मैथिलीशरण गुप्त
अन्याय और अत्याचार करने वाला उतना दोषी नहीं है, जितना उसे सहन करने
वाला।
जहाँ कहीं भी अन्याय के चरण पड़ते हैं, वहीं विद्रोह के ज्वालामुखी का
सृजन हो जाता है।
-शिवसागर मित्र
जो अन्याय करता है, वह सहने वाले की अपेक्षा सदैव अधिक दुर्दशा में पड़ता
है।
-प्लेटो
अन्याय का अनुकरण करना, अन्याय का समर्थन करना है।
-यशपाल
अगर अन्याय को मिटाना है तो खुद अन्यायी न
बनिए।
-अमृतलाल नागर
अपनत्व
पैदा दिलों में कीजिए, अपनायतों की आँच,
इंसान क्या है, प्यार से पत्थर पिघल गए।
-डा. गिरिराजशरण अग्रवाल
अपमान
अपमान के साथ जीने की अपेक्षा मर जाना ही अच्छा है, क्योंकि करने से पहले
केवल एक क्षण का दुख होता है, परंतु अपमान से जो प्रतिदिन दुख होता रहता
है।
-आचार्य चाणक्य
बुद्धिमान् आदमी धोखा और अपमान की बात किसी अन्य पर प्रकट नहीं करता।
-हितोपदेश
जो माता-पिता, ब्राह्मण और आचार्य का अपमान करता है, वह यमराज के वश में
पड़कर उस पाप का फल भोगता है।
-वाल्मीकि रामायण
यदि कोई मनुष्य अपमानपूर्वक मुझे अमृत पिलावे तो वह मुझे अच्छा नहीं लगता।
इससे तो अच्छा है कि वह मुझे सम्मानपूर्वक विष दे दे और मैं मर जाऊँ।
-रहीम
अपराध (भूल)
मनुष्य को अपनी ग़लती निस्संकोच स्वीकार कर लेनी चाहिए। हठ पकड़कर और छल
करके उसे छिपाना न चाहिए। छिपाने से वह विष-कण के समान अपना प्रभाव बढ़ाती
ही जाएगी।
-मुनि गणेश वर्णी
भूल करके आदमी सीखता तो है, पर इसका यह मतलब नहीं कि जीवन-भर भूल ही करता
जाए और कहे कि हम सीख रहे हैं।
-महात्मा गांधी
पहले अपराध तो उनके हैं, जो उन्हें करते हैं, दूसरे अपराध उनके हैं, जो
उन्हें होने देते हैं।
-थॉमस फुलर
अपराध करने के पश्चात् भय पैदा होता है और यही उसका दंड है।
-वाल्टेयर
ग़लती कर देना मामूली बात है, पर उसे स्वीकर कर लेना बड़ी बात है।
-मुनि गणेश वर्णी
अन्याय करने वालों का अपराध जितना है, चुपचाप उसे बरदाश्त करने वालों का
अपराध क्या उससे कम है ?
-विमल मित्र
यदि मनुष्य सीखना चाहे तो उसकी हरेक भूल उसे कुछ-न-कुछ शिक्षा अवश्य दे
सकती है।
-डकेन्स
भूल होना स्वाभाविक है, पर अवसर आने पर उसको सबके सामने मानने की हिम्मत
करना महापुरुषों का ही काम है।
-विनोवा भावे
यदि हम पुरानी भूल को नई तरह से केवल दुहराते रहें तो इसमें कोई वास्तविक
लाभ नहीं।
-महर्षि अरविंद घोष
जो जान गया कि उससे भूल हो गई और उसे ठीक नहीं करता, वह एक और भूल कर रहा
है।
-कन्फ़्यूशस
अपने दोष को स्वीकारना कोई अपमान नहीं है।
-गजको
भूल करना मनुष्य का स्वभाव है, की हुई भूल को मान लेना और इस तरह आचरण
रखना कि जिससे वह भूल न होने पावे मरदानगी है।
-महात्मा गांधी
अभय
जब यह शरीर नश्वर है और आत्मा अमर है, तो फिर भय किसका है किसलिए ?
-महात्मा गांधी
सदा अभय रहने से मनुष्य का कोई, कभी कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
-महात्मा गांधी
विश्व में आधे से अधिक लोग तो इसलिए असफल हो जाते हैं कि समय पर उनमें
साहस का संचार नहीं हो पाता और वे भयभीत हो उठते हैं।
-स्वामी विवेकानंद
सच्चा बलवान वह है, जो कभी किसी से डरकर भागता नहीं है।
-तैत्तरीय ब्राह्मण
द्वेष से दूर रहिए, सबको अभय बनाइए।
-ऋग्वेद
अभिमान
‘मुझे अभिमान नहीं है ‘ऐसा भासित होना इस सरीखा भयानक
अभिमान नहीं है।
-विनोबा भावे
किसी भी दशा में अपनी शक्ति पर घमंड न कर। वह बहुरुपिया आकाश हर पल
सहस्त्रों रंग बदलता है।
-हाफ़िज
जो बहुत घमंड करते थे, वही अपने घमंड के कारण गिरे, इसलिए किसी को बहुत
घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड ही हार का द्वार है।
-शतपथ ब्राह्मण
अभिमान ही पराभव का द्वार है।
-शतपथ ब्राह्मण
पत्थर के खंभे की तरह जीवन में कदापि न झुकने वाला गर्व आत्मा को नरक गति
की तरफ़ ले जाता है।
-स्थानांग
जिसे होश है, वह कभी घमंड नहीं करता।
-शेख़ सादी
अभिमानी आदमी प्रायः शक्की हुआ करता है।
-प्रेमचंद्र
अमन (शांति)
मानव के लिए शांति की कसौटी समाज में ही हो सकती है, हिमालय की चोटी पर
नहीं।
-महात्मा गांधी
मैं शांति-पसंद व्यक्ति हूँ। ईश्वर जाने मैं शांति को क्यों प्रेम करता
हूँ ? किंतु मुझे आशा है कि मैं ऐसा कभी न होऊँगा कि दमन को शांति मान
बैठूँ।
-कोसुथ
जो विश्व की थोड़ी-सी वस्तुओं से ही संतोष कर लेता है, वह सच्ची शांति
पाता है।
-जुन्नुन
शांति के दूतों को फायर-ब्रिग्रेड के समान नहीं होना चाहिए, जो कि अलार्म
पाने तक ठहरा रहता है, अपितु उन्हें तो अंगूरों के उपवन में काम करनेवालों
के समान होना चाहिए, जो कि अपने स्वामी के आगमन की तैयारी में सदैव लगते
रहते हैं।
-एस.जी.मिल्स
शांति को डंडे के बल पर स्थिर नहीं किया जा सकता, वह तो केवल पारस्परिक
समझौते से ही लाई जा सकती है।
-अल्बर्ट आइंस्टाइन
तुम्हारा अंतिम ध्येय शांति है। उसके प्राप्त करने का उपाय त्याग और सेवा
है।
-संत पिंगल
शांति ठीक वहाँ से आरंभ होती है, जहाँ महात्त्वाकांक्षा का अंत हो।
-यंग
जो न तो मनुष्यों को प्रसन्न करने की इच्छा रखता है, न उसके अप्रसन्न होने
से भयभीत है, वही शांति का आनंद लेता है।
-कैंपिस
जिस घर में शांति है वहाँ भगवान वास करते हैं।
-श्री ब्रह्मचैतन्य
अमरत्व
इंद्रियों के निग्रह से, राग-द्वेष पर विजय प्राप्त करने से और
प्राणिमात्र के प्रति अहिंसक रहने से साधक अमरत्व प्राप्त करता है।
-मनुस्मृति
बिना अमरत्व की भावना से प्रेरित हुए, आज तक किसी ने अपने देश के लिए
प्राणों का उत्सर्ग नहीं किया।
-सिसरो
हमारी अमरत्व की मधुर आशा किसी धर्म से उद्भूत नहीं होती, अपितु सारे धर्म
इसी से उद्भूत होते हैं।
-मनुस्मृति
अवगुण
अपने अवगुण अपने को ही तकलीफ़ देते हैं।
-शीलनाथ
बहुत से व्यक्ति उन मनुष्यों से कुपित हो जाते हैं, जो उनके अवगुण बताते
हैं, जबकि उन्हें कुपित होना चाहिए उन अवगुणों से, जो कि उन्हें बताए जाते
हैं।
-चैनिंग पोलाक
अपने अवगुण कोई नहीं देख पाता। अपना व्यवहार सभी को अच्छा प्रतीत होता है।
किंतु जो हर दशा में स्वयं को छोटा समझता है, वह अपना दोष भी देख सकता है।
-अबु उस्मान
चरित्रवान् अपने दोषों को सुनना पसंद करते हैं, दूसरी श्रेणी के लोग नहीं।
-इमर्सन
सौ गुण होते हुए भी यदि किसी में एक अवगुण है तो वह सारे गुणों को ढक देता
है।
-रघुवीरशरण मित्र
जो दूसरों के अवगुणों की चर्चा करता है, वह अपने अवगुण प्रकट करता है।
-महात्मा गांधी
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