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इतिहास और राजनीति >> बन्दी जीवन

बन्दी जीवन

शचीन्द्रनाथ सान्याल

प्रकाशक : आत्माराम एण्ड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :404
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3401
आईएसबीएन :8170430461

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उत्तर भारत में क्रान्ति का उद्योग...

Bandi jeewan - Shachindra Nath Sanyal

भारत के उन महाप्राण वीर देशभक्तों के जीवन तथा कार्यों का इतिहास अभी तक लगभग अप्रकट ही है, जिन्होंने शस्त्रबल के सहारे स्वदेश को विदेशी दासता से मुक्त कराने का प्रयास किया था। महाशक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य से मोर्चा लेने वाले स्वतंत्रता के इन सैनिकों की जीवन-कथाएं इतनी शौर्यपूर्ण और त्याग-बलिदान की भावनाओं तथा घटनाओं से परिपूर्ण हैं कि एक उत्कृष्ट काव्य की भांति हृदय पर स्थायी प्रभाव डालती हैं। हमारे इतिहास की यह ऐसी अमूल्य निधि है, जो युगों-युगों तक हमें प्रेरणा देने का सामर्थ्य रखती है।

‘शहीद ग्रन्थ माला’ के अन्तर्गत प्रकाशित प्रस्तुत ग्रन्थ ‘बन्दी जीवन’ हमारे इस क्रान्तिकारी आन्दोलन के इतिहास का वह भाग है, जिसमें उन रहस्यात्मक रोमांचकारी घटनाओं का अत्यन्त सजीव और प्रामाणिक विवरण है, जिनके कारण एक दिन भारत के विदेशी शासकों की नींद हराम हो गई थी। ‘बन्दी जीवन’ के लेखक श्री शचीन्द्रनाथ सान्याल ने स्वयं इन घटनाओं में प्रमुख भाग लिया था। वीरश्रेष्ठ रासबिहारी बोस के दाहिने हाथ के रूप में इस क्रांति संघर्ष के संचालन का उत्तरदायित्वपूर्ण भार उन पर था, जिसे उन्होंने बड़ी गम्भीरता और ज़िम्मेदारी से निबाहा था, तथा इसके लिए कालान्तर में बड़ी भीषण यातनाएँ शचीन्द्र बाबू को सहन करनी पड़ी थीं। यही कारण है कि क्रांतिकारी आन्दोलन का यह घटनाक्रम उन्होंने ऐसी मर्मस्पर्शी भाषा में लिखा है कि अनेक वर्षों तक क्रांतिकारी संगठन द्वारा युवकों को अपने मार्ग में दीक्षित करने के लिए इस ग्रन्थ का उपयोग किया जाता रहा है। यह ग्रन्थ आज से लगभग चालीस वर्ष पूर्व दो भागों में हिन्दी में प्रकाशित हुआ और प्रकाशित होते ही जब्त कर लिया गया। फिर भी इसके अनेक संस्करण प्रकाशित होते रहे और हाथों-हाथ बिकते गए।

‘बन्दी जीवन’ के प्रस्तुत संस्करण में पूर्व प्रकाशित दो भागों के अतिरिक्त वह तीसरा भाग भी है, जो अभी तक पुस्तक रूप में प्रकाशित नहीं हो सका था। इसके साथ ही ‘कुछ पूरक तथ्य’ शीर्षक से पृथक् अध्याय भी है जिसमें ग्रन्थ में वर्णित घटनाओं को वह ब्यौरा दिया गया है, जो अंग्रेजों के शासनकाल में नहीं दिया जा सकता था। हमें आशा है कि पाठक ‘शहीद ग्रन्थ माला’ के अन्य ग्रन्थों की ही भाँति ‘बन्दी जीवन’ का भी हार्दिक स्वागत करेंगे।


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