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अमर सूक्तियाँ

जयश्री

प्रकाशक : सत्साहित्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :99
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3305
आईएसबीएन :81-7721-085-8

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व्यावहारिक व संग्रहणीय सूक्तियों का संग्रह

Amar Suktiyan a hindi book by Jayshri - अमर सूक्तियाँ - जयश्री

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

सूक्त वचन ज्ञान का सार होते हैं। हमारे मनीषियों, विद्वानों, महापुरुषों, नीतिज्ञों के अनुभव, दर्शन और परिपक्व विचारों से हमारा जीवनपथ प्रशस्त होता है। सूक्तियाँ हमारी मानसिकता व  विचारों का निर्माण करती हैं। अनेक अवसरों व परिस्थितियों में ये किसी सुहृद् मित्र की भाँति हमारा पथ-प्रदर्शन करती हैं। जीवन के महत्त्वपूर्ण निर्णयों की पूर्व-पीठिका तैयार करती हैं।
सूक्त वचनों की महानता, महत्ता एवं उपयोगिता को देखते हुए प्रस्तुत कृति तैयार की गई है। अत्यंत पठनीय, व्यावहारिक व  संग्रहणीय सूक्तियों का संग्रह।

अमर सूक्तियाँ


अंतःकरण


अच्छा अंतःकरण सर्वोत्तम ईश्वर है।

टामस फुलर

अंतर्ज्ञान


अंतर्ज्ञान दर्शन की एक मात्र कसौटी है।
शिवानंद

अंधकार


मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो।

बृहदारण्यक उपनिषद्

अग्नि


अग्नि स्वर्ण को परखती है, संकट वीर पुरुषों को।

अज्ञात

अच्छा स्वास्थ्य


अच्छा स्वास्थ्य एवं अच्छी समझ जीवन के दो सर्वोत्तम वरदान हैं।

प्यूब्लियस साइरस

अज्ञान


अज्ञान से बढ़कर कोई अंधकार नहीं है।

शेक्सपियर

अज्ञानी


अज्ञानी का संग नहीं करना चाहिए।

आचारांग

अति


अति से अमृत भी विष बन जाता है।

लोकोक्ति

सभी वस्तुओं की अति दोष उत्पन्न करती है।

भवभूति

अधिक खाने से मनुष्य श्मशान जाता है।

लोकोक्ति

अतिथि


अतिथि का अतिथ्य करना श्रेष्ठ धर्म है।

अश्वघोष

अतिथि सबके आदर का पात्र होता है।

अज्ञात

दरिद्रों में दरिद्र वो है जो अतिथि का सत्कार न करे।

तिरुवल्लुवर

अत्याचार


अत्याचार सदा ही दुर्बलता है।

जेम्स रसेल लावेल

अधिक


अधिक का अधिक फल होता है।

अज्ञात

अधिकार


अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नहीं होता।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

अधिकार केवल एक है और वह है सेवा का अधिकार, कर्तव्य पालन का अधिकार।

संपूर्णानंद

अध्ययन


अध्ययन उल्लास का और योग्यता का कारण बनता है।

बेकन

अध्ययन आनंद, अलंकार तथा योग्यता के लिए उपयोगी है।

बेकन

अनंत जीवन


अनंत जीवन का एकमात्र पाथेय है धर्म।

रवींद्रनाथ ठाकुर

अनुभव


अनुभव को खरीदने की तुलना में उसे दूसरों से माँग लेना अधिक अच्छा है।

चार्ल्स कैलब काल्टन

बिना अनुभव के कोरा शाब्दिक ज्ञान अंधा है।

स्वामी विवेकानंद

अनुशासन


 अनुशासन परिष्कार की अग्नि है, जिससे प्रतिभा योग्यता बन जाती है।

अज्ञात

अभय


अभय ही ब्रह्म है।

बृहदारण्यक उपनिषद्

अभाव


अभावों में अभाव है-बुद्धि का अभाव। दूसरे अभावों को संसार अभाव नहीं मानता।

तिरुवल्लुवर

अभिमान


अभिमान को जीत से नम्रता जाग्रत् होती है।

महावीर स्वामी

शुभार्थियों को अभिमान नहीं होता।

कल्हण

अभिमान करना अज्ञानी का लक्षण है।

सूत्रकृतांग

अभिमानी


बिना जाने हठ पूर्वक कार्य करनेवाला अभिमानी विनाश को प्राप्त होता है।

सोमदेव

अभ्यास


कोई ऐसी वस्तु नहीं, है जो अभ्यास करने पर भी दुष्कर हो।

बोधिचर्यावतार

अर्थशास्त्र


सच्चा अर्थशास्त्र तो न्याय बुद्धि पर आधारित अर्थशास्त्र है।

महात्मा गाँधी

अवगुण


अवगुण नाव की पेंदी के छेद के समान है, जो चाहे छोटा हो या बड़ा, एक दिन उसे डुबो देगा।

कालिदास

पराय धन का अपरहण, परस्त्री के साथ संसर्ग, सुहृदों पर अति शंका- ये तीन दोष विनाशकारी हैं।

वाल्मीकि

अवसर


जो अवसर को समय पर पकड़ ले, वही सफल होता है।

गेटे

अवसर उनकी मदद कभी नहीं करता जो अपनी मदद स्वयं नहीं करते।

कहावत

असंभव


‘असंभव’ एक शब्द है, जो मूर्खो के शब्दकोश में पाया जाता है।

नेपोलियन

असमय


असमय किया हुआ कार्य न किया हुआ जैसा ही है।

अज्ञात

अहंकार


अहंकार छोड़े बिना सच्चा प्रेम नहीं किया जा सकता।

स्वामी विवेकानंद

तलवार मारे एक बार, अहसान मारे बार-बार।

लोकोक्ति

अहिंसा


अहिंसा परम श्रेष्ठ मानव-धर्म है, पशु-बल से वह अनंत गुना महान् और उच्च है।

महात्मा गाँधी

आँख


अकेली आँख ही बता सकती है कि हृदय में प्रेम है अथवा घृणा।

तिरुवल्लुवर

आँसू


जो औरों के लिए रोते है, उनके आँसू भी हीरों की चमक को हरा देते हैं।

रांगेय राघव

आग्रह


स्वयं पर आग्रह करो, अनुकरण मत करो।

एमर्सन

आचरण


छोटी नदियाँ शोर करती हैं और बड़ी नदियाँ शांत चुपचाप बहती हैं।

सुत्तनिपात

आचरण दर्पण के समान है, जिसमें हर मनुष्य अपना प्रतिबिंब दिखाता है।

गेटे

आत्मविश्वास


आत्मविश्वास सफलता का प्रथम रहस्य है।

एमर्सन

आत्मसम्मान


आत्मसम्मान रखना सफलता की सीढ़ी पर पग रखना है।

अज्ञात

आत्मा


यह आत्मा ब्रह्म है।

बृहदारण्यकोपनिषद्

मनुष्य की आत्मा उसके भाग्य से अधिक बड़ी होती है।

अरविंद

आत्मिक शक्ति


आत्मिक शक्ति ही वास्तविकता शक्ति है।

शिवानंद

आदर्श


आदर्श कभी नहीं मरते।

भागिनी निवेदिता

आनंद


आनंद का मूल है-संतोष।

मनुस्मृति

आनंद वह खुशी है जिसके भोगनें पर पछतावा नहीं होता।

सुकरात

पढ़कर आनंद के अतिरेक से आँखें यदि नीली न हो जाएँ तो वह कहानी कैसी ?

शरत्चंद्र

आपदा-आपत्ति


आपदा एक ऐसी वस्तु है जो हमें अपने जीवन की गहराइयों में अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

विवेकानंद

आभूषण


नारी का आभूषण शील और लज्जा है। बाह्य आभूषण उसकी शोभा नहीं बढा सकते हैं।

बृहत्कल्पभाष्य

आय व्यय


विद्वित्ता, चतुराई और बुद्धिमानी की बात यही है कि मनुष्य अपनी आय से कम व्यय करे।

अज्ञात

आरोग्य


आरोग्य परम लाभ है, संतोष परम धन है, विश्वास परम बंधु है, निर्वाण परम सुख है।

धम्मपद

धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रधान कारण आरोग्य है।

चरक संहिता

आलस्य

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आलस्य मनुष्यों के शरीर में रहने वाला घोर शत्रु है।

भर्तृहरि

आलस्य दरिद्रता का मूल है।

यजुर्वेद

आवश्यकता


आवश्यकता अविष्कार की जननी है।

लोकोक्ति

आवश्यकता से अधिक बोलना व्यर्थ है।

तुकाराम

असीम आवश्यकता नहीं, तृष्णा होती है।

जैनेंद्र

अविष्कार


आविष्कार से आविष्कार का जन्म होता है।

एमर्सन

आशा


आशा और आत्मविश्वास ही वे वस्तुएँ हैं जो हमारी शक्तियों को जाग्रत करती हैं।

स्वेट मार्डेन

प्रयत्नशील मनुष्य के लिए सदा आशा है।

गेटे

आसक्ति


विषयों के प्रति आसक्ति मोह उतपन्न करती है।

भारवि

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