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लेख-निबंध >> अमावस्या के तारे

अमावस्या के तारे

किसनसिंह चावड़ा

प्रकाशक : ज्ञान गंगा प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :280
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3302
आईएसबीएन :81-88139-78-5

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पूरे ब्रह्मांड को नापने के लिए अत्यंत तेज गति से मनुष्य उद्यत हो रहा है। उसे मद्देनजर रखते हुए कहें तो राष्ट्रीयता तो ठीक, अपितु, ‘जय जगत्’ सूत्र भी पुरातन होता जा रहा है।

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