नाटक एवं कविताएं >> देश के लिए देश के लिएमनोहर वर्मा
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देशभक्ति से ओत-प्रोत बाल एकांकी
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
देश के लिये
पात्र
राजन : आयु 14 वर्ष
दीपक : आयु 12 वर्ष
माँ : आयु 35 वर्ष
दीपक : आयु 12 वर्ष
माँ : आयु 35 वर्ष
(परदा उठने पर-मंच पर हल्की-सी रोशनी है। राजन की माँ पलंग पर लेटी हुई
है। कन्धे पर थैला लटकाये राजन का प्रवेश। राजन के आते ही उस ओर मुँह
फेरकर लेटे-लेटे ही पूछती है।)
माँ : वैद्य जी के पास गया था बेटा ?
राजन : (थैला एक ओर पटकते हुए) किसलिए माँ ?
माँ : मेरी दवा लानी थी न राजे।
राजन : (माँ के करीब आते हुए) दुनिया भर के काम मैं करता हूँ माँ, दीपक क्या इतना-सा भी नहीं कर सकता ?
माँ :दीपक अभी बच्चा है बेटा ? उसके खाने-खेलने के दिन हैं।
राजन : (तनकते हुए) और मेरे कमाने के ? दिन भर तेली के बैल की तरह चलते रहने के ! क्यों ?
माँ : (फीकी-सी हँसी हँसते हुए) तू तो पागल है रे राजू। (दु:ख भरे स्वर में) मेरा बस चलता तो तुझे भी कुछ नहीं करने देती बेटा ! पर क्या करूँ ? (एक क्षण ठहरकर) चिमनी तो जला दे, कब से अँधेरे में पड़ी हूँ।
(राजन चिमनी जलाता है)
(मेरा देश जीतेगा-मेरा देश जीतेगा-गाता हुआ, उछलता-कूदता दीपक प्रवेश करता है। गोल चकरी घूमते हुए गाता हुआ माँ के पलंग पर जा पड़ता है)
(राजन दीपक के करीब आते हुए)
राजन : तुमसे माँ की दवा भी नहीं लाई जाती दीपू ?
माँ : वैद्य जी के पास गया था बेटा ?
राजन : (थैला एक ओर पटकते हुए) किसलिए माँ ?
माँ : मेरी दवा लानी थी न राजे।
राजन : (माँ के करीब आते हुए) दुनिया भर के काम मैं करता हूँ माँ, दीपक क्या इतना-सा भी नहीं कर सकता ?
माँ :दीपक अभी बच्चा है बेटा ? उसके खाने-खेलने के दिन हैं।
राजन : (तनकते हुए) और मेरे कमाने के ? दिन भर तेली के बैल की तरह चलते रहने के ! क्यों ?
माँ : (फीकी-सी हँसी हँसते हुए) तू तो पागल है रे राजू। (दु:ख भरे स्वर में) मेरा बस चलता तो तुझे भी कुछ नहीं करने देती बेटा ! पर क्या करूँ ? (एक क्षण ठहरकर) चिमनी तो जला दे, कब से अँधेरे में पड़ी हूँ।
(राजन चिमनी जलाता है)
(मेरा देश जीतेगा-मेरा देश जीतेगा-गाता हुआ, उछलता-कूदता दीपक प्रवेश करता है। गोल चकरी घूमते हुए गाता हुआ माँ के पलंग पर जा पड़ता है)
(राजन दीपक के करीब आते हुए)
राजन : तुमसे माँ की दवा भी नहीं लाई जाती दीपू ?
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