अतिरिक्त >> मोरो वाला बाग मोरो वाला बागअनिता देसाई
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प्रस्तुत है 1947 का भारत विभाजन पर आधारित उपन्यास....
1947 का भारत विभाजन। अपने घर-गाँव और वतन से दूर हो गये बहुत से परिवारों को न जाने कितनी तकलीफें उठानी पड़ीं। दंगों और फसादों में कितने लोग मारे गये और कितनों का पता नहीं चला। बच्चों को अपने दोस्तों घरों और घरौंदा से न चाहते हुए भी बिछड़ना पड़ा। मोरों वाला बाग बाल उपन्यास की छोटी सी नायिका जूनी भी अपनी नन्हीं-सी दुनिया से अलग-थलग पड़ गई। जान-माल के नुकसान से बचने के लिए उसका परिवार गाँव छोड़कर निकल भागा।
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