अमर चित्र कथा हिन्दी >> विश्वामित्र विश्वामित्रअनन्त पई
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विश्वामित्र
भारत ने अपने को 'ऋषिभूमि' कहलाने में सदैव गर्व का अनुभव किया है। और भारतीयों को भी ऋषिमुनियों से प्राप्त धरोहर पर अभिमान है। विश्वामित्र उन ऋषियों की परम्परा का महान् उदाहरण हैं।
विश्वामित्र क्षत्रिय नरेश थे। पृथ्वी के राज्य से परे दिव्य परलोक है, इसे उन्होंने समझा। वसिष्ठ मुनि से प्रतिद्वंद्विता होने पर उनकी समझ में आ गया कि आध्यात्मिक शक्ति सांसारिक शक्ति से बढ़ कर है और उन्होंने वह शक्ति प्राप्त करने का संकल्प किया।
राजर्षि की पदवी पा कर उन्हें संतोष नहीं हुआ क्योंकि इसमें उनके क्षत्रिय होने का बोध था और यह पदवी ब्रह्मर्षि से नीचे स्तर की थी।
विकारों को जीत कर आध्यात्मिक सिद्धि के लिए विश्वामित्र को जो कठिन यत्न करना पड़ा उसका विस्तार में वर्णन करने का उद्देश्य है- ऋषियों की तेजस्विता के दर्शन कराना। उनकी जीवनी बड़ी ही प्रेरणादायक है- विशेष रूप से हम भारतीयों के लिए जिन्होंने विश्वामित्र के पौत्र भरत के नाम पर अपने देश का नामकरण भारत किया है।
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