अमर चित्र कथा हिन्दी >> जवाहरलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरूअनन्त पई
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जवाहरलाल नेहरू
"मुझे उस महान विरासत पर फख्र है जो हमारी थी और आज भी है और मुझे इसका भी बोध है कि हम सभी की मानिंद मैं भी उस अटूट श्रृंखला की एक कड़ी हूं जो हिंदुस्तान के बहुत पुराने अतीत में इतिहास की उषा तक चली गयी है। उस श्रृंखला को मैं तोड़ना नहीं चाहता, क्योंकि मैं उसे बेशकीमती मानता हूं और उससे प्रेरणा पाना चाहता हूं।"
जवाहरलाल नेहरू के वसीयतनामे से लिये गये इन शब्दों से आप इसका औचित्य समझ जायेंगे कि हमने नेहरू को अमर चित्रकथा के अंतिम नियमित शीर्षक के रूप में क्यों चुना। इस सीरीज़ में हमने भारतीय पुराणों, आख्यानों, इतिहास और लोकसाहित्य में से अनेक कथाएं पेश की हैं।
इस अंक में नेहरू के पूर्वजों के परिचय के साथ उनके जीवन के आरंभिक वर्षों का विवरण दिया गया है, जिन्होंने भारत के इस महान निर्माता को गढ़ा और तराशा।
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