अमर चित्र कथा हिन्दी >> देवी चौधरानी देवी चौधरानीअनन्त पई
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देवी चौधरानी
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास 'देवी चौधरानी' पर आधारित है। उपन्यासकार बंकिमचंद चट्टोपाध्याय का नाम सभी जानते हैं। बंगला भाषा में लिखे उनके उपन्यास लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुके हैं।
बंगाल के चौबीस परगना में कांढालपाड़ा गाँव में 27 जून 1848 को बंकिम बाबू का जन्म हुआ था। वे डिप्टी कलेक्टर की हैसियत से सरकारी नौकरी में आये। लगभग 37 वर्ष तक उन्होंने सरकारी नौकरी की, लेकिन उन्हें अपने स्वदेशाभिमान के कारण अक्सर अफसरों का कोपभाजन बनना पड़ता था।
बंकिमचंद्र ने अपने एक उपन्यास 'आनंदमठ' में 'वंदे मातरम' गीत लिखा था। आजादी की लड़ाई में और गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन के दौरान यह गीत आजादी के दीवाने देशभक्तों की शक्ति बन गया था। अनगिनत देशभक्तों ने इसी गीत को गा-गाकर अंग्रेज पुलिस की लाठियों की मार सही थी।
बंकिम के साहित्य में प्रवेश के पहले सारा भाषा कथा-साहित्य संस्कृत साहित्य से उधार लिया होता था। बंकिम पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इतिहास से अपने कथानक लिये। उनके ऐतिहासिक कथानक इतने लोकप्रिय हुए कि वे भारत के सर वॉल्टर स्कॉट पुकारे जाने लगे।
देवी चौधरानी और उसके गुरु भवानी पाठक दोनों ही ऐतिहासिक पात्र हैं। हंटर द्वारा सम्पादित 'बंगाल का क्रमबद्ध विवरण' नामक पुस्तक में ले. येनन की रपट में इन दोनों का जिक्र आता है। यों इतिहास इस बारे में कुछ नहीं बताता कि आखिर देवी डाकू क्यों बनी और उसने डकैती छोड़ क्यों दी? बंकिमचंद्र की कल्पना ने इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की है। उनके द्वारा लिखित "देवी चौधरानी'' नामक कथा पर ही हमारी प्रस्तुत अमर चित्रकथा आधारित है।
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