अमर चित्र कथा हिन्दी >> शेर और कठफोड़वा शेर और कठफोड़वाअनन्त पई
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शेर और कठफोड़वा
तेलुगु के प्रख्यात कवि मंचन के 'केयूरबाहुचरितम्' नामक काव्य से ये कथाएँ ली गयी हैं। इस काव्य में राजा केयूरबाहु की कथा चार सर्गों में कही गयी है। तेरहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यह काव्य लिखा गया था।
मंचन ने यह कथा 'विद्धसालभंजिका' नामक एक नाटक से ली थी, जिसे नवीं शताब्दी में राजशेखर ने लिखा था। मंचन ने कई स्थानों पर मूल कथा को तो बदला ही है, साथ ही बाइस रोचक कथाएँ भी जोड़ी हैं, जो मूल नाटक में नहीं थीं। संभवतः ये कथाएँ मंचन के समय में तेलुगु प्रदेश में प्रचलित रही होंगी।
नाटकीय प्रभाव और कथाक्रम की दृष्टि से प्रस्तुतिकरण में कहीं-कहीं कुछ संशोधन कर दिये गये हैं।
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