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जातक कथाएँ - मूषक व्यापारी

अनन्त पई

प्रकाशक : इंडिया बुक हाउस प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1878
आईएसबीएन :1234567890123

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जातक कथाएँ - मूषक व्यापारी की कहानी से चरित्र निर्माण

जीव जन्मता है, मरता है। फिर जन्मता है, फिर मरता है। हिंदुओं की मान्यता है कि आवागमन का यह चक्र निरंतर चलता रहता है। भगवान बुद्ध भी इस चक्र से बचे नहीं। अनेक बार बोधिसत्व के रूप में जन्म लेने के बाद ही उन्हें वह जीवन मिला जिसमें ज्ञान प्राप्त कर के वे बुद्ध कहलाये।

बोधिसत्व ने मानव, वानर, मृग, हाथी तथा सिंह और अनेक योनियों में जन्म लिया था। हर रूप और हर जन्म में उन्होंने संसार को न्याय और दया का उपदेश दिया। सम्यक विचार और सम्यक जीवन के उनके ये उपदेश जातक कथाओं में संग्रहीत हैं।

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