चिन्मय मिशन साहित्य >> श्रीमदभगवद्गीता अध्याय-18 श्रीमदभगवद्गीता अध्याय-18स्वामी चिन्मयानंद
|
8 पाठकों को प्रिय 38 पाठक हैं |
प्रस्तुत है श्रीमद्भगवद्गीता का अठारहवाँ अध्याय..
अठारहवें अध्याय में गीता का सिंहावलोकन किया गया है। यह पहले सिद्ध हो चुका है कि सर्वत्र एक ही सच्चित्स्वरूप परमात्मा प्रकृति में प्रकट होकर स्वयं ही इस नानाविध सृष्टि का रूप धारण करता है।
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book