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काव्यांजलि उपन्यास

डॉ. राजीव श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17179
आईएसबीएन :9781613017890

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आधुनिक समाज को प्रतिविम्बित करती अनुपम कृति

अगले दिन प्रातः काव्या और दीपा के साथ माधुरी भी स्कूल के बच्चों के लिये चाकलेट का एक-एक पैकेट ले गयीं। प्रधानाचार्या के कमरेमें काव्या और दीपा के साथ जाकर कहा, "मैडम कल मेरी पुत्रियों का जन्म दिन था, अतः इनके क्लास के बच्चों के लिये गिफ्ट लेकर आई हूँ। देने की अनुमति देने की कृपा करें।"

मिसेज जोशी (प्रधानाचार्या), "श्योर आप स्वयं जाकर काव्यांजलि व दीपांजलि के द्वारा वितरित करवा दें। आप की दोनों पुत्रियाँ पढ़़ाई एवं खेल-कूद इत्यादि में काफी तेज हैं। स्कूल का नामरोशन करेंगी।

माधुरी, "थैंक्स मैम।"

माधुरी ने क्लास के सभी बच्चों को चाकलेट वितरित करायी और वापस लौट गयी। वापसी में दोनों पु़त्रियों को लेकर अपराह्न 3 बजे घर पहुँची और सब लोग भोजन से निवृत्त हो अपने कार्य में व्यस्त हो गये।

दिन बीतते गये। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर स्कूल प्रांगण में ही कार्यक्रम देखने गये बच्चों ने एक के बाद एक प्रदर्शन किये। दीपा ने नृत्यव काव्या ने देशभक्ति का गीत गाया। पुरस्कार वितरणोपरान्त काव्या व दीपा घर वापस आ गयीं। दोनों बच्चियाँ पुरस्कार पाकर प्रसन्न रहीं। दिन बीतते रहे विनोद कीप्रैक्टिस में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही। 1968 में काव्या ने 5 व दीपा ने 4 क्लास पास कर लिया। काव्या कुशाग्र बुद्धि होने के कारण सदैव प्रथम आती रही। दीपाद्वितीय या तृतीय स्थान पर ही रही। दीपा की रुचि अधिकतर खेल में है। जबकि काव्या संगीत एवं नृत्य में अधिक रुचि रखती है। कमला देवी धार्मिक प्रवृत्ति होने के कारणसत्संग भजन आदि में ही व्यस्त रहती हैं। काव्या और दीपा में बहुत प्रेम है किंतु कभी-कभी टी०वी० देखते समय झगड़ा भी होता है। कारण दोनों की अलग-अलग कार्यक्रम में रुचिहै।

एक दिन शाम को चाय पीते समय विनोद ने कहा, "मधु , काव्या 5 और दीपा 4 पास कर चुकी हैं इनके लिए एक ट्यूटर की व्यवस्था कर दी जाये ताकि आगे दोनों औरअच्छे अंकों से पास हो सकें।

माधुरी, "आप ठीक सोच रहे हैं। मैं व्यवस्था करती हूँ।"

काव्या, "पापा मेरी फ्रेंड मीना को मिस जोसेफ पढ़ाने जाती हैं। यदि आप कहें तो उनको पढ़ाने के लिए बोलदूँ।"

विनोद, "ठीक है उनका फोन नम्बर ले आना, मधु उनसे बात कर लेगी।"

अगले दिन स्कूल में काव्या ने मीना से कहा, "मीना अपने ट्यूटर का फोन नम्बर दे दो मम्मी उनसे बात करेंगी।"

मीना, "उनके पास फोन तो है नहीं तुम अपना पता दे दो वह तुम्हारे यहाँ जाकर बात कर लेंगी।

काव्या ने अपना पता दे दिया। रविवार को सायं 6 बजे मिस जोसेफ ने आकर माधुरी से बात की। माधुरी ने काव्या व दीपा को बुलाकर मिस जोसेफ से मिलवाया।

 

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Asha Rastogi

डॉक्टर राजीव श्रीवास्तव की कलम से एक और अत्यंत प्रभावशाली सृजन l “काव्यांजलि” की भाषा-शैली इतनी सहज, रोचक एवं मनोहारी है कि पाठक बरबस ही उपन्यास से जुड़ाव महसूस कर लेता है l पर्त- दर- पर्त सारी कड़ियाँ ऐसी गुंथती चली जाती हैं, मानो सब कुछ सामने ही घटित हो रहा हो l कश्मीर के दृश्यों का वर्णन तो रोमांच भर देता है l विषयवस्तु इतनी भावपूर्ण है कि एक चिरस्थाई प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहती l सर्वथा पठनीय कृति l मेरी ओर से असीम शुभकामनायें lDr.asha kumar rastogi M.D.(Medicine), DTCD Ex.Senior Consultant Physician, district hospital, Moradabad. Presently working as Consultant Physician and Cardiologist, sri Dwarika hospital, near sbi Muhamdi, dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964